नई दिल्ली : देश में जारी कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन ने आम नागिरकों से लेकर कंपनियों तक को मुसीबत में डाला था, जिससे उनके सामने सबसे बड़ी समस्या थी बैंकों के कर्ज भुगतान का। क्योंकि अधिकतर कंपनियां इस लॉकडाउन में बंद थी और कई कंपनियों ने इस संकट की घड़ी में अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती की। साथ ही कई कंपनियों ने तो अपने कर्मचारियों का वेतन भी रोक दिये थे। हालांकि इस दौरान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अहम कदम उठाते हुए लोगों की बड़ी राहत दी।
गौरतलब हैं कि कोरोना संकट के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के निर्देश पर तमाम बैंकों ने कर्जदारों (Borrowers) को अस्थायी तौर पर राहत देते हुए 6 महीने तक ईएमआई भुगतान (EMI) नहीं करने की छूट दी थी। इसके बाद जब ये सुविधा खत्म हुई तो लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) अवधि के लिए बैंकों की ओर से वसूले जा रहे ब्याज पर ब्याज (Interest on Interest) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर हुईं।
आपको बता दें कि इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि मोरेटोरियम अवधि के लिए पूरा ब्याज माफ नहीं किया जा सकता है। हालांकि 3 जजों की बेंच ने बड़े लोन के लिए भी चक्रवृद्धि ब्याज न लेने का आदेश दिया है। इससे औधोगिक क्षेत्रों ने राहत की सांस ली।
आपको बता दें कोर्ट ने मोरेटोरियम अवधि को 31 अगस्त से आगे बढ़ाने से इंकार करते हुए कहा कि मोरेटोरियम के लिए पूरा ब्याज माफ करने की मांग सही नहीं है। अगर ऐसा किया गया तो बैंकों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।
तीनों जजों के साझा फैसला पढ़ रहे जस्टिस एम आर शाह ने कहा कि, “सरकार 1 मार्च से 31 अगस्त, 2020 तक रहे मोरेटोरियम अवधि के लिए छोटे कर्जदारों का चक्रवृद्धि ब्याज माफ किया है। लेकिन हम इस बात का कोई आधार नहीं देखते कि चक्रवृद्धि ब्याज से छूट सिर्फ 2 करोड़ रुपए तक का लोन लेने वाले लोगों को मिले। यह छूट सब पर लागू होनी चाहिए। 6 महीने की मोरेटोरियम अवधि के लिए किसी से ब्याज पर ब्याज नहीं लिया जाएगा। अगर ले लिया गया है तो उसे लौटाने या एडजस्ट करने की व्यवस्था बनाई जाए।”