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“मुझे जो डर था वही हुआ और देश के उच्चतम न्यायालय से इंसाफ़ की मेरी सभी उम्मीदें टूट गईं हैं”

By: Amit ranjan 
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“मुझे जो डर था वही हुआ और देश के उच्चतम न्यायालय से इंसाफ़ की मेरी सभी उम्मीदें टूट गईं हैं”

नई दिल्ली : “मुझे जो डर था वही हुआ और देश के उच्चतम न्यायालय से इंसाफ़ की मेरी सभी उम्मीदें टूट गईं हैं”  ये कहना था शिकायतकर्ता का जिन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को अन्याय बताया था। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व CJI रंजन गोगोई के खिलाफ मुकदमा चलाने की कार्यवाही को बंद कर दिया है, जिनके खिलाफ 2019 में यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे। इसके अलावा कोर्ट ने वकील उत्सव बैंस की ओर से इस मामले पर न्यायपालिका को बदनाम करने की साजिश की जांच कराने की मांग वाली याचिका को भी रद्द कर दिया है।

जस्टिस एके पटनायक की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले का निपटारा किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले को दो साल हो चुके हैं और ऐसे में साजिश की जांच संभव नहीं है। बता दें कि बैंस ने अपनी जिस फेसबुक पोस्ट में साजिश की बात कही थी, उसी में उन्होंने ये भी लिखा था, “मुझे लोगों को ये बात बताने से पहले कई वरिष्ठ शुभचिंतकों ने रोका था। शुभचिंतकों ने मुझसे कहा था कि जिन जजों की लॉबी ने ये साजिश रची है, वो मेरे खिलाफ हो जाएगी और मुझे व्यावसायिक रूप से नुकसान पहुंचाएगी।”

गौरतलब है कि आंतरिक समिति ने वरिष्ठता क्रम में नंबर दो जज, जस्टिस मिश्रा को अपनी रिपोर्ट 5 मई को ही पेश कर दी थी। इस रिपोर्ट की एक कॉपी जस्टिस रंजन गोगोई को भी सौंपी गई है, जबकि शिकायतकर्ता महिला को रिपोर्ट की प्रति नहीं दी गई है। महिला का कहना है कि रिपोर्ट देखे बिना वो ये नहीं जान सकतीं कि उनके आरोपों को किस बुनियाद पर ख़ारिज किया गया है।

इस बारे में कोर्ट की ओर से जारी विज्ञप्ति में इंदिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट (2003) 5 एससीसी 494 मामले का हवाला देते हुए कहा है कि आंतरिक प्रक्रिया के तहत गठित समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करना अनिवार्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कर्मचारी ने 19 अप्रैल को जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।

आपको बता दें कि आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक समिति गठित की गई थी। जस्टिस रंजन गोगोई ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा था कि ये सुप्रीम कोर्ट के ख़िलाफ़ रची जा रही बड़ी साज़िश का हिस्सा हैं। आरोपों के बाद जस्टिस गोगोई ने कहा था शिकायतकर्ता के पीछे कुछ बड़ी ताक़तें हैं जो सुप्रीम कोर्ट को अस्थिर करना चाहती हैं।

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