नई दिल्ली : टोक्यो पैरालंपिक में भारत का आज दिन बेहद खास है, क्योंकि आज यानी जन्माष्टमी के दिन भारत को लगातार दो गोल्ड मिले है। जिसमें पहला महिलाओं की आर-2 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 में अवनी लखेरा ने, जबकि दूसरा जैवलिन थ्रो में सुमित अंतुल ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए हासिल किया है। आपको बता दें कि जैवलिन थ्रो में सुमित अंतिल ने भारत को ये तीसरा पदक दिलाया है।
आपको बता दें कि सुमित अंतुल उन्होंने सोमवार को पुरुषों (एफ 64 वर्ग) के फाइनल मुकाबले में स्वर्ण पदक जीता है। सुमित की इस जीत के साथ ही भारत के मेडल की संख्या 7 हो गई है और भारत की रैंकिंग नंबर 25 पर पहुंच गई। बता दें कि सुमित ने 68.55 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। सुमित आंतिल का ये थ्रो वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बन गया है। टोक्यो पैरालंपिक में भारत का ये दूसरा स्वर्ण पदक है।
What a start to the evening @ParaAthletics session 🤩
Sumit Antil throws a World Record on the first throw of the day, can anyone top that?#ParaAthletics #Tokyo2020 #Paralympics pic.twitter.com/cLB5qHYQ61
— Paralympic Games (@Paralympics) August 30, 2021
सुमित ने इस मुकाबले में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा है। उन्होंने पहले प्रयास में 66.95 मीटर का थ्रो किया, जो वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। इसके बाद दूसरे प्रयास में उन्होंने 68.08 मीटर भाला फेंककर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा। सुमित ने अपने प्रदर्शन में और सुधार किया और पांचवें प्रयास में 68.55 मीटर का थ्रो कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया।
हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले सुमित अंतिल का जन्म 7 जून 1998 को हुआ था। सुमित जब सात साल के थे, तब एयरफोर्स में तैनात पिता रामकुमार की बीमारी से मौत हो गई थी। पिता का साया उठने के बाद मां निर्मला ने हर दुख सहन करते हुए चारों बच्चों का पालन-पोषण किया।
It’s another #Gold for 🇮🇳#Athletics: Sumit Antil wins Gold Medal in the Men’s Javelin Throw F64 event with a throw of 68.55m!#TeamIndia | #Tokyo2020 | #Paralympics | #Praise4Para pic.twitter.com/Qcg4RuZhFO
— Doordarshan Sports (@ddsportschannel) August 30, 2021
निर्मला देवी के मुताबिक, सुमित जब 12वीं कक्षा में कॉमर्स का ट्यूशन लेता था। 5 जनवरी 2015 की शाम को वह ट्यूशन लेकर बाइक से वापस आ रहा था, तभी सीमेंट के कट्टों से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली ने सुमित को टक्कर मार दी और काफी दूर तक घसीटते ले गई। इस हादसे में सुमित को अपना एक पैर गंवाना पड़ा।
हादसे के बावजूद सुमित कभी उदास नहीं हुए। रिश्तेदारों व दोस्तों की प्रेरणा से सुमित ने खेलों की तरफ ध्यान दिया और साई सेंटर पहुंचे। जहां एशियन रजत पदक विजेता कोच वींरेंद्र धनखड़ ने सुमित का मार्गदर्शन किया और उसे लेकर दिल्ली पहुंचे। यहां द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच नवल सिंह से जैवलिन थ्रो के गुर सीखे।
सुमित ने वर्ष 2018 में एशियन चैम्पियनशिप में भाग लिया, लेकिन 5वीं रैंक ही प्राप्त कर सका। वर्ष 2019 में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता। इसी वर्ष हुए नेशनल गेम में सुमित ने स्वर्ण पदक जीत खुद को साबित किया।
देवेंद्र झाझरिया और सुंदर सिंह ने भी जीता पदक
बता दें कि इससे पहले सोमवार को ही देवेंद्र झाझरिया और सुंदर सिंह गुर्जर ने भी जैवलिन थ्रो में मेडल जीता। देवेंद्र ने रजत तो सुंदर सिंह ने कांस्य पदक पर कब्जा किया।
भारत ने गंवाया एक मेडल
भारत के चक्का फेंक (डिस्कस थ्रो) एथलीट विनोद कुमार ने सोमवार को टूर्नामेंट के पैनल द्वारा विकार के क्लालिफिकेशन निरीक्षण में ‘अयोग्य’ पाए जाने के बाद पैरालंपिक की पुरुषों की एफ52 स्पर्धा का कांस्य पदक गंवा दिया है। इसी के साथ भारत के हाथ से एक मेडल निकल गया है।
बता दें कि रविवार को विनोद कुमार ने कांस्य पदक जीता था। लेकिन उनके विकार के क्लालिफिकेशन पर विरोध जताया गया, जिसके बाद मेडल रोक दिया गया। बीएसएफ के 41 साल के जवान विनोद कुमार ने 19.91 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो से तीसरा स्थान हासिल किया था।