भारतीय वायुसेना के पांच राफेल विमानों की पहली खेप के जुलाई के अंत तक { 29 जुलाई } भारत पहुंचने की संभावना है। यह इसलिए भी जरुरी था क्यूंकि वायुसेना को इसकी जरूरत सालों से थी।
बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भी वायुसेना प्रमुख ने कहा था कि अगर हमारे पास राफेल होता तो हम हज़ारों आतंकियों को मार सकते थे।
यह इसलिए भी जरुरी है क्यूंकि हाल फिलहाल चीन के पास राफेल की टक्कर का लड़ाकू विमान नहीं है।
29 जुलाई को अंबाला एयरबेस पर उनके वायुसेना में शामिल होने के बाद उन्हें तुरंत चीन सीमा पर तैनात कर दिया जाएगा।
बताते चले, भारत ने लगभग 58 हजार करोड़ रुपये में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।