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OMG! Market में आये पढ़ें-लिखे पालक, जमीन में खतरा भांपते ही भेजेंगे E-MAIL

By: RNI Hindi Desk 
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OMG! Market में आये पढ़ें-लिखे पालक, जमीन में खतरा भांपते ही भेजेंगे E-MAIL

रिपोर्ट: गीतांजली लोहनी

नई दिल्ली: हम सभी लोग ई-मेल का इस्तेमाल अपनी प्रोफेशनल लाइफ में रोज करते है। लेकिन अगर आप से यह कह दिया जाए कि अब इंसानों के अलावा पेड़-पौंधे या वनस्पति भी ई-मेल करते है तो क्या आप यक़ीन कर पाएंगे? नहीं ना.. ऐसी ही हैरानी हमें भी हुई थी जब ये पता लगा कि हरी पत्तेदार सब्जी भी अब हमें मेल कर सकती है। जी हां पालक एक ऐसी पत्तेदार सब्जी में शामिल है जिसमें कई तरह के न्यूट्रिएंट्स पाये जाते है। लेकिन आपको ये सुनकर अचंभा होगा कि Massachusetts Institute of Technology (MIT) के इंजीनियर्स ने पालक को चुना ई-मेल भेजने के लिए।

दरअसल, इंजीनयर ने नैनो टेक्नोलॉजी के जरिए पालक की जड़ों में एक सेंसर लगाया है जो जमीन में खतरा महसूस होने पर आपको ई-मेल भेजेगा। जमीन के नीचे विस्फोटक मिलने पर तुरंत मेल भेजने वाले इस पालक की रिसर्च के पीछे Massachusetts Institute of Technology के माइकल स्ट्रॉनों का हाथ है ,जिन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर ये अजब-गजब काम किया है। ऐसा पॉसिबल है इस पालक की जड़ों के जरिये। जड़ें पानी में या मिट्टी में मौजूद Nitroaromatics को भांपकर मेल भेजेगा।

Nitroaromatics एक तरह का केमिकल कंपाउंड है जो विस्फोटक पदार्थ में मौजूद होता है। यानि जब पालक की जड़ें इसके संपर्क में आएंगे तो इसमें लगे कार्बन नैनोट्यूब्स सिग्नल भेजेंगे। इस सिग्नल को IR कैमरा के जरिये पढ़कर ईमेल के रूप में साइंटिस्ट्स को भेजा जाएगा।

लीड रिसर्चर माइकल स्ट्रॉनों का कहना है कि पौधे काफी अच्छे केमिकल एनालिस्ट होते हैं। इनकी जड़ें जमीन के नीचे मौजूद केमिकल्स को अच्छे से पहचान लेते हैं। ऐसे में टीम ने एक्सप्लोसिव एलिमेंट्स को रीड करने की तकनीक पालक की जड़ों में डालने का फैसला किया। इस तकनीक की वजह से जमीन के नीचे मौजूद किसी तरह के हानिकारक तत्व या विस्फोटक या का पता वैज्ञानिकों को लग जाएगा। इससे जमीन के नीचे की छोटी सी हलचल भी पौधे एकदम से पकड़ लेंगे और उसकी जानकारी वैज्ञानिकों को दे देंगे।

माइकल के अनुसार इससे इन्वॉयरन्मेंटलिस्ट को प्रदूषण या जमीन के नीचे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों का तुरंत पता चल जाएगा। बता दें कि कई बार मशीन के जरिये इसका पता लगाने पर सही जानकारी नहीं मिलती। लेकिन अब ये समस्या पालक की जड़ों में लगे सेंसर की मदद् से तुरंत सॉल्व हो जाएगी।

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