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कल से शुरु हो रहे है शारदीय नवरात्र, जानिए इसका आध्यात्मिक महत्त्व, पढ़ें

By: RNI Hindi Desk 
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कल से शुरु हो रहे है शारदीय नवरात्र, जानिए इसका आध्यात्मिक महत्त्व, पढ़ें

हिन्दू धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व होता है, दरअसल साल में दो बार नवरात्र आते है जिसमें से एक चैत्र के और एक आश्विन माह के होते है। इस बार अधिक माह आने से जो की 3 साल में एक बार आता है नवरात्र एक महीने देरी से आ रहे है। आज आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या है है कल प्रतिपदा से नवरात्र लग जाएंगे।

कल यानी शविवार से माता की आराधना का पर्व शुरु हो रहा है और आने वाले अगले नौ दिनों तक साधक अपने अपने तरीक़े से माता पार्वती को प्रसन्न करेंगे ,माता पार्वती के नौ रूप है जिनकी आराधना हर दिन की जाती है।

इस बार सर्वार्थसिद्धि योग में नवरात्र शुरू हो रहा है और नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना शुभ मुहूर्त में होगी।

आपको  बता दे देवी भागवत के अनुसार बताया गया है कि हर साल नवरात्र पर देवी अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं।

शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता ।

इस साल शनिवार से नवरात्र शुरु हो रहे है इसलिए माता का वाहन घोड़ा रहेगा। जब मां दुर्गा की सवारी घोड़ा रहता है तब पड़ोसी देशों से युद्ध, गृह युद्ध, आंधी-तूफान और सत्ता में उथल-पुथल जैसी गतिविधियां बढ़ने की आशंका रहती है।

नवरात्रि मनाने के पीछे का प्रकृति कारण यह माना जाता है कि इस समय मौसम परिवर्तित होता है। इसलिए जब हम नौं दिनों तक व्रत करते हैं तो शरीर को ऋतु के अनुसार ढलने का समय मिल जाता है।

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।

इन श्लोक में माता रानी के नौ रुपों का वर्णन है और माता रानी के नौ रुपों का नाम जपने से मनुष्य के सारे दुःख दूर हो जाते है।

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