सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में शाहीन बाग मामले पर सुनवाई हुई, इस दौरान कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतंत्र लोगों की अभिव्यक्ति से ही चलता है लेकिन इसकी एक सीमा है। यदि हर कोई रोड ब्लॉक करने लगा तो ऐसे कैसे चलेगा। अदालत ने वरिष्ठ वकील संजय हेगडे और साधना रामचंद्रन को प्रदर्शकारियों से बात करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। उन्हें प्रदर्शनकारियों से बात करते प्रदर्शनस्थल बदलने के लिए मनाने को कहा गया था। आज वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े के घर पर आपस में मुलाकात के लिए पहुंचे हैं।
बताते चले कि, इस पैनल में संजय हेगड़े के अलावा साधना रामचंद्रन और वजाहत हबीबुल्लाग भी हैं। यह दोनों इस वक्त संजय हेगड़े के घर पर बैठक के लिए पहुंचे हैं। माना जा रहा है कि यह सभी एक-दूसरे से बात कर शाहीन बाग भी जा सकते हैं।
कोर्ट ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन को शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोगों से बात करने और उन्हें वैकल्पिक स्थल पर जाने को मनाने को कहा, जहां कोई सार्वजनिक स्थल ब्लॉक न हो।
शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ धरने पर बैठी महिलाओं का कहना है कि अगली तारीख पर सुप्रीम कोर्ट ने रास्ता खानी करने का निर्णय दिया तो सभी प्रदर्शनकारी उसे स्वीकार करेंगे। महिलाओं ने सोमवार को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा था कि लोगों को अपनी आवाज समाज तक पहुंचाने का अधिकार है। हम अधिकारों की रक्षा के विरोध के खिलाफ नहीं हैं। लोकतंत्र में अपनी आवाज जरूर पहुंचाए। समस्या दिल्ली के ट्रैफिक को लेकर है। लेकिन आप दिल्ली को जानते हैं, यहां के ट्रैफिक को भी जानते हैं, हर कोई सड़क पर उतरने लगे तो क्या होगा? यह जनजीवन को ठप करने की समस्या से जुड़ा मुद्दा है।
कोर्ट ने कहा था कि, हमारी चिंता इस बात को लेकर है कि अगर लोगों सड़कों पर उतर जाएं और प्रदर्शन से सड़क बंद कर दें तो क्या होगा? अधिकारों और कर्तव्य के बीच संतुलन जरूरी है। बताते चलें कि, शाहीन बाग में पिछले 2 महीने से नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इसकी वजह से रोड 13ए बंद है। यह रोड दिल्ली और नोएडा को जोड़ती है। सड़क बंद होने की वजह से नोएडा और दिल्ली के बीच सफर करने वालों को कई घंटे तक अपना वक्त गंवाना पड़ाता है।