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वैज्ञानिकों ने पाया है कि मलेरिया के परजीवी में नए तरह का म्यूटेशन हो गया है जो दवा के प्रति प्रतिरोध बढ़ाता है, यह वैज्ञानिकों के लिए एक नई चुनौती बनकर उभर रहा

By: RNI Hindi Desk 
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वैज्ञानिकों ने पाया है कि मलेरिया के परजीवी में नए तरह का म्यूटेशन हो गया है जो दवा के प्रति प्रतिरोध बढ़ाता है, यह वैज्ञानिकों के लिए एक नई चुनौती बनकर उभर रहा

न्यूयॉर्क: एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि यह म्यूटेशन गर्भवती महिलाओं और बच्चों को दी जाने वाली दवा के प्रति प्रतिरोध बढ़ाता है। मलेरिया प्लाजमोडियम नामक परजीवी के कारण होता है, जो मच्छर के काटने के दौरान हमारी रक्त वाहनियों में प्रवेश कर जाता है। लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (एलएसएचटीएम) से इस अध्ययन के सह-लेखक ताने क्लार्क ने कहा, ‘हमें यह समझने की जरूरत है कि ये म्यूटेशन कैसे काम करते हैं ताकि मलेरिया निगरानी और रोकथाम कार्यक्रमों को निर्बाध रूप से आगे बढ़ा जा सके।

बता दें कि मलेरिया के कारण अफ्रीका के उप-सहारा क्षेत्र में हर साल लगभग साढ़े चार लाख लोगों की मौत हो जाती है। इनमें सबसे ज्यादा संख्या बच्चों की होती है। वैश्विक स्तर प्रभावी कदम उठाने के बाद भी मलेरिया का कारण बनने वाले परजीवी प्रजातियों के दवा प्रतिरोधी उपभेदों के बढ़ने से इस बीमारी को नियंत्रित करने के प्रयासों में बाधा आ रही है।

उदाहरण के लिए सल्फेडॉक्सिन-पाइरीथेमाइन (एसपी) एक समय में मलेरिया का एक प्रमुख इलाज था लेकिन अब इसका इस्तेमाल केवल गर्भवती महिलाओं और बच्चों में संक्रमण को रोकने के लिए किया जाता है। ऐसा इसीलिए क्योंकि परजीवी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम के दो जीनों में म्यूटेशन (उत्परिवर्तन) एसपी के लिए प्रतिरोध प्रदान करता है। अब हाल ही में एक तीसरे जीन (पीएफजीसीएच1) में भी म्यूटेशन का पता लगाया गया है।

इसने विज्ञानियों की चिंता बढ़ा दी है। जर्नल पीएलओएस जेनेटिक्स में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि इन म्यूटेशन के बढ़ने और प्रसार को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने 29 देशों से एकत्रित किए गए 4134 रक्त के नमूनों से जीनोम अनुक्रमों का विश्लेषण किया। इन देशों में मलेरिया स्थानिक है।

वैज्ञानिकों ने इस दौरान पीएफजीसीएच1 के कम से कम दस अलग-अलग प्रकारों की खोज की, जो दक्षिण पूर्व एशिया में लगभग एक चौथाई नमूनों में और अफ्रीका में एक तिहाई नमूनों में पाए गए, जिससे इस बात की आशंका और बढ़ गई है कि यहां परजीवी में म्यूटेशन के मामले और बढ़ सकते हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा कि पीएफजीसीएच1 म्यूटेशन एसपी के प्रतिरोध को बढ़ाता है और नए प्रतिरोधी उपभेदों के विकास को प्रोत्साहित कर सकता है। इसलिए चिकित्सा विज्ञानियों को इससे बचने के लिए प्रभावी उपाय खोजने पर काम शुरू कर देना चाहिए ताकि इसके असर को कम किया जा सके।

 

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