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संगम पर फंसा मोक्ष, अस्थि विसर्जन-पिंडदान पर असर, पुरोहितों के आजीविका पर भी गहरा संकट

By: RNI Hindi Desk 
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संगम पर फंसा मोक्ष, अस्थि विसर्जन-पिंडदान पर असर, पुरोहितों के आजीविका पर भी गहरा संकट

रिपोर्ट: सत्यम दुबे

प्रयागराज: कोरोना महामारी से मचे हाहाकार के बीच कोविड से दम तोड़ चुके मृतकों का मोक्ष भी फंसता दिखाई दे रहा है। प्रयागराज के संगम तट पर लोग अपने स्वजनों की अस्थियां विसर्जित कर मोक्ष की प्राप्ति कराते हैं। लेकिन संक्रमण के डर से अस्थि विसर्जन को भी लॉक कर दिया गया है। संगम तट पर कभी भगवान राम ने अपने पिता दशरथ की अस्थियों का विसर्जन किया था, तभी से संगम में मोक्ष केलिए अस्थि विसर्जन की परंपरा चली आ रही  है, लेकिन इस महामारी काल में संगमनगरी में मरीजों की संख्या में बेतहाशा हो रहे इजाफा ने गंगा, यमुना और विलुप्त सरस्वती केसंगम तट पर अस्थि विसर्जन की धारणा को भी लॉक कर दिया है।

अस्थि विसर्जर को बंद करने के साथ ही पुरोहितों के आजीविका पर भी गहरा संकट खड़ा हो गया है। महामारी में संक्रमण के डर से  ये हाल हो गया है कि मरने वालों का न तो पिंडदान हो पा रहा है और न ही संगम में अस्थियों का विसर्जन। माहामारी के दूसरा लहर में संक्रमण फैलने की रफ्तार तेज और घातक होने की वजह से लोग अस्थियां विसर्जित करने केलिए प्रयागराज आने का कार्यक्रम निरस्त कर दिया गया है। इस वजह मोक्ष की रस्म निभाने वाले पंडितों को भी घाटों पर काम नहीं मिल रहा है और वह खाली दिन बिताने के लिए मजबूर हो गए हैं।

आपको बता दें कि संगम के अलावा काली घाट, रामघाट और दशाश्वमेध घाट पर मार्च से पहले रोजाना 80, 100 या इससे अधिक  अधिक अस्थि कलशों का विसर्जन होता था, लेकिन महामारी की गंभीरता के बाद अस्थि विसर्जन भी बड़ी समस्या बन गया है।

तीर्थ पुरोहितों की प्रमुख संस्था प्रयागवाल सभा के अध्यक्ष डॉ प्रकाश चंद्र मिश्र ने बताया कि गोरखपुर, देवरिया, जौनपुर के अलावा मध्यप्रदेश के रीवां, सतना से दो दर्जन से अधिक लोगों ने अस्थि विसर्जन के लिए संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने महामारी फैलने का हवाला देते हुए अब संगम आने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया है। इस संकट की घड़ी में इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है। हालांकि संगम आने से किसी को मना नहीं किया जा रहा है, लेकिन लोग खुद नहीं आना चाह रहे हैं।

 

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