पश्चिम बंगाल में जैसे जैसे विधान सभा चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे वैसे पश्चिम बंगाल की राजनीति भी तेज होती जा रही। सभी पार्टी अपनी तैयारी में लगे हुए है। इस ही के साथ ही पश्चिम बंगाल की राजनीति में लगातार आरोप-प्रत्यारोप और बिगड़े बोल का सिलसिला जारी है।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी पर हिंदू देवी सीता के खिलाफ ‘अपमानजनक टिप्पणी’ करने के आरोप लग रहे हैं। इस बीच बीजेपी ने उनके ऊपर हमला बोला है और उनके बयान को गलत बताया है। कल्याण बनर्जी के इस बयान पर बीजेपी ने हमला बोलते हुए इसको ममता सरकार की तुष्टीकरण की राजनीति का असर बताया है।
संबित पात्रा ने हमला करते हुए कहा कि वैसे तो किसी भी धर्म को लेकर ही इस तरीके के बयान शोभा नहीं देते। लेकिन सवाल यह है कि क्या कल्याण बनर्जी या टीएमसी का कोई और नेता इस्लाम को लेकर इस तरीके का बयान दे सकता है?
संबित ने कहा कि बंगाल में हालात ऐसे हैं कि जब ईद होती है तो कर्फ्यू हटा दिया जाता है और जब राम जन्मभूमि का पूजन होना होता है तो लॉकडाउन लगा दिया जाता है. यह साफ तौर पर तुष्टीकरण की राजनीति है।
कल्याण बनर्जी के बयान पर हमला करते हुए बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह बयान सिर्फ कल्याण बनर्जी का नहीं बल्कि ममता बनर्जी सरकार की तुष्टीकरण की राजनीति के दिखाता है।
ममता बनर्जी सरकार और उसके नेता लगातार मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करते हैं और उसी के तहत हिंदू धर्म और हिंदुओं के खिलाफ इस तरीके के बयान देते हैं। संबित के साथ ही बीजेपी सांसद राकेश सिंहा ने भी कल्याण बनर्जी के इस बयान को ध्रुवीकरण की राजनीति वाला बयान करार दिया है।
राकेश सिन्हा ने हमला करते हुए यहां तक कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार जिहादियों का तुष्टीकरण कर रही है। राकेश सिन्हा ने सवाल उठाया कि जिस तरह कल्याण बनर्जी ने अपने बयान में मां सीता का अपमान किया, क्या वैसे ही टीएमसी सांसद इस्लाम या ईसाई धर्म को लेकर बयान दे सकते हैं?
राकेश सिन्हा ने कहा कि पश्चिम बंगाल का रावण कौन है, इस बात का जवाब टीएमसी के नेताओं को खुद देना चाहिए। क्योंकि ममता बनर्जी ने वहां पर भय का माहौल बना रखा है और लोग डर के साये में जीने को मजबूर हैं।
गौरतलब है कि कल्याण बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि “सीता राम के पास जाकर बोलीं कि मेरा सौभाग्य था कि रावण ने मेरा हरण किया।
अगर आपके चेलों ने मेरा हरण किया होता तो मेरा हाल यूपी के हाथरस जैसा होता।” कल्याण बनर्जी के इसी बयान के बाद फिलहाल बंगाल की राजनीति में एक बार फिर तुष्टीकरण की राजनीति की बात होने लगी है।