1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. कोरोना वायरस का दूसरी बार शिकार हुए तीन लोगों पर हुए शोध, सामने आए तीन नए तथ्य

कोरोना वायरस का दूसरी बार शिकार हुए तीन लोगों पर हुए शोध, सामने आए तीन नए तथ्य

By: RNI Hindi Desk 
Updated:
कोरोना वायरस का दूसरी बार शिकार हुए तीन लोगों पर हुए शोध, सामने आए तीन नए तथ्य

गोरखपुर में कोरोना वायरस का दूसरी बार शिकार हुए तीन लोगों पर हुए शोध में तीन नए तथ्य सामने आए हैं।

तीनों मरीजों में वायरस का असर अलग-अलग तरीकों से रहा है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने इस पर शोध किया है।

दो दिनों के अंदर यह शोध पत्र अमेरिका के इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित होगा।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि तीन ऐसे केस सामने आए, जो एक महीने के अंदर दूसरी बार संक्रमण का शिकार हुए। इस पर जब शोध किया गया तो तीनों में अलग-अलग मामले सामने आए।

पहला केस जुलाई में मिला था, जो ठीक होने के बाद अगस्त में फिर से संक्रमित हो गया। शोध शुरू किया गया तो पता चला कि उसके अंदर एंटीबॉडी विकसित नहीं हुई।

दूसरा केस जुलाई में मिला जो ठीक होने के बाद अगस्त में दूसरी बार संक्रमित हुआ। पहले के आधार पर उसकी एंटी बॉडी जांच की गई तो उसके शरीर में महज 1.56 एस/सी यूनिट ही एंटीबॉडी विकसित मिली।

यह बेहद चौंकाने वाला था। क्योंकि इतनी कम एंटीबॉडी मिलने का मतलब शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहद कमजोर होना, जबकि व्यक्ति बाहर से पूरी तरह से स्वस्थ दिख रहा था।

इसके बाद भी इतनी कम एंटीबॉडी का विकसित होना दर्शाता है कि वायरस का लोड शरीर पर अधिक रहा।

डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि तीसरे केस का मामला एकदम अलग था। दो बार संक्रमित होने के बाद जब उस व्यक्ति की जांच की गई तो पता चला कि उसके फेफड़े में क्लाटिंग थी, जो ठीक होने के बाद भी खत्म नहीं हुई।

उसी क्लाटिंग में वायरस का लोड था, जो एंटीबॉडी खत्म होने पर दोबारा अटैक कर गया।

इसके बाद वह व्यक्ति दूसरी बार संक्रमण का शिकार हो गया। इस व्यक्ति के अंदर एंटीबॉडी पूरी तरह से विकसित हो गई थी।

डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि सामान्य मनुष्य के शरीर में कम से छह से सात एस/सी यूनिट एंटीबॉडी रहनी चाहिए। स्वस्थ व्यक्ति के अंदर 12 से 15 एस/सी यूनिट एंटीबॉडी रहती है। ऐसी स्थिति में 1.56 एस/सी यूनिट एंटीबॉडी बेहद चौंकाने वाला है। एंटीबॉडी को लेकर अब नए सिरे से शोध की जरूरत है।

डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि दो दिनों के अंदर तीनों व्यक्तियों पर किए गए शोध अमेरिका के इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित होगा।

इस तरह के केस अब तक चीन, अमेरिका, इटली जैसे देशों में ही सामने आए हैं।

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...