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प्रियंका गांधी और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया

By RNI Hindi Desk 
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केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून के खिलाफ देश के कोने कोने में में किसान आंदोलन जारी है। जहां सरकार ने किसान ने बात करने को तैयार है वही किसानो का कहना है की उन्हें किसी से बात नहीं करनी है। वहीं कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज एक महीना हो चूका है।

विपक्ष का डेलिगेशन राहुल गांधी के नेतृत्व में विजय चौक से राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकालना चाहता था, लेकिन पुलिस ने इसकी इजाजत नहीं दी। इसके बावजूद मार्च निकालने पर प्रियंका गांधी समेत कई कांग्रेस नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट करके लिखा श्रीमती, सहित कांग्रेस के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल। प्रियंका गांधी, सांसद, CWC के सदस्य और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रपति भवन के रास्ते से हिरासत में लिया है।

प्रियंका ने कहा कि इस सरकार के खिलाफ किसी भी तरह के असंतोष को आतंक के नजरिए से देखा जा रहा है। हम किसानों के समर्थन में आवाज बुलंद करने के लिए यह मार्च कर रहे थे। उन्होंने मीडिया से कहा कि किसानों की समस्या का हल तब निकलेगा, जब सरकार उनकी बात सुनेगी और उनका आदर करेगी।

वहीं, कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे किसानों के समर्थन में विपक्षी नेता आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने वाले हैं। राष्ट्रपति भवन से 3 नेताओं को अपॉइंटमेंट मिला है। वे 2 करोड़ किसानों के साइन किए हुए ज्ञापनों को राष्ट्रपति को सौंपेंगे।

उन्होंने सरकार से बातचीत का प्रपोजल बुधवार को ठुकरा दिया। किसानों ने कहा कि सरकार के प्रपोजल में दम नहीं, नया एजेंडा लाएं तभी बात होगी। किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, सरकार किसानों की अनदेखी कर आग से खेल रही है, उसे जिद छोड़नी चाहिए।

कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने 20 दिसंबर को किसान नेता डॉ. दर्शनपाल को प्रपोजल भेजा था। इसलिए जवाब भी दर्शनपाल की ई-मेल से संयुक्त सचिव को ही भेजा गया है।

किसानों ने लिखा है- आपने पूछा था कि हमारी पिछली चिट्ठी एक आदमी की राय है या सभी संगठनों की। हम बता दें कि यह संयुक्त मोर्चे की सहमति से भेजा गया जवाब था। इस पर सवाल उठाना सरकार का काम नहीं है।

बता दे आपकी चिट्ठी भी आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश थी। सरकार कथित किसान नेताओं और ऐसे कागजी संगठनों के साथ पैरेलल बातचीत कर आंदोलन को तोड़ने की कोशिश कर रही है, जिनका आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है।

इस ही के साथ आप को बात दे कि हरियाणा और पंजाब समेत कई राज्यों से किसानों का दिल्ली पहुंचने का सिलसिला जारी है। 26 दिसंबर को पंजाब के खनौरी से और 27 दिसंबर को हरियाणा के डबवाली से 15-15 हजार किसान दिल्ली के लिए रवाना होंगे।

आपको बता दे प्रदर्शनकारी किसानों से ऐसे निपट रहे हैं मानों वे संकटग्रस्त लोग न होकर सरकार के राजनीतिक विरोधी हैं। आपका यह रवैया विरोध प्रदर्शन तेज करने के लिए मजबूर कर रहा है।

हम हैरान हैं कि सरकार अब भी तीन कानूनों को रद्द करने की हमारी मांग को समझ नहीं पा रही। कई दौर की बातचीत में साफ तौर पर बताया गया कि कानूनों में ऐसे बदलाव हमें मंजूर नहीं हैं।

5 दिसंबर को मौखिक प्रपोजल खारिज करने के बाद हमें बताया गया कि सरकार के साथ चर्चा के बाद ठोस प्रपोजल भेजा जाएगा, लेकिन 9 दिसंबर को जो प्रस्ताव भेजे, वे 5 दिसंबर की चर्चा वाले ही थे जिन्हें हम पहले ही खारिज कर चुके हैं।

आपने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बारे में जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें ऐसा कोई भी साफ प्रस्ताव नहीं है जिसका जवाब दिया जाए। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर आप मौजूदा खरीद सिस्टम से संबंधित लिखित भरोसे का प्रस्ताव रख रहे हैं। किसान संगठन राष्ट्रीय किसान आयोग की

सिफारिश के मुताबिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (सी2+50%) पर सभी फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। बिजली अधिनियम (संशोधन) विधेयक के ड्राफ्ट पर प्रस्ताव साफ नहीं है। जब तब आप क्रॉस सब्सिडी बंद करने के प्रोविजन के बारे में साफ नहीं करते, तब तक इस पर जवाब बेकार है।

हम बातचीत के लिए तैयार हैं और इंतजार कर रहे हैं कि सरकार कब खुले मन, खुले दिमाग और साफ नीयत से इस चर्चा को आगे बढ़ाए। अपील करते हैं कि बेकार के बदलावों के खारिज प्रस्तावों को दोहराने की बजाए ठोस प्रस्ताव भेजें, ताकि उसे एजेंडा बनाकर बातचीत दोबारा शुरू की जा सके।

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