राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर शनिवार को देश को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे यकीन है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे देश के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी। यह न केवल देश के युवाओं के भविष्य को मजबूत बनाएगा बल्कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी तैयार करेगा।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य 21वीं सदी की अवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में हमारी शैक्षिक प्रणाली को पुनर्जीवित करना है। यह सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर एक नयासंगत और जीवंत ज्ञान समाज विकसित करने की दृष्टि निर्धारित करता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि एनईपी अंक या ग्रेड के लिए रट्टा मारने को हतोत्साहित करना चाहते है। यह महत्वपूर्ण सोच और जांच की भावना को प्रोत्साहित करना चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत प्राचीन काल में विश्व स्तर पर सम्मानित शिक्षा केंद्र था। जिसे तक्षशिला और नालंदा के विश्वविद्यालयों को प्रतिष्ठित दर्जा प्राप्त था। लेकिन आज भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों को वैश्विक रैंकिंग में उच्च स्थान प्राप्त नहीं है।
NEP seeks to discourage rote learning and overemphasis on marks or grades. It seeks to encourage critical thinking and a spirit of enquiry: President Ram Nath Kovind while addressing the Visitor's Conference on 'Implementation of National Education Policy 2020: Higher Education' https://t.co/XwOY54FWgS
— ANI (@ANI) September 19, 2020
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 12500 से अधिक स्थानीय निकायों और लगभग 675 जिलों की व्यापक भागीदारी और 2 लाख से अधिक सुझावों पर विचार करने के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार की गई है।