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भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू, देश में 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति के चुनाव होंगे, पढ़ें

25 जुलाई को राष्ट्रपति और 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएगी। डेढ़ साल बाद होने जा रहे आम चुनाव के लिए केंद्रीय और राज्य सरकार के मंत्रियों सहित पदाधिकारियों की ड्यूटी 17 अगस्त से शुरू हो जाएगी।

By RNI Hindi Desk 
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25 जुलाई को राष्ट्रपति और 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएगी। डेढ़ साल बाद होने जा रहे आम चुनाव के लिए केंद्रीय और राज्य सरकार के मंत्रियों सहित पदाधिकारियों की ड्यूटी 17 अगस्त से शुरू हो जाएगी। तो वहीँ गुजरात और हिमाचल प्रदेश के साथ ही इस साल नवंबर-दिसंबर में जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव कराए जाएंगे।

पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 303 सीटें जीती थीं। सहयोगी पार्टियों की 54 सीटें मिलाने पर कुल 357 सीटें होती हैं। भाजपा की योजना है कि चुनाव से पहले इन सीटों पर केंद्रीय मंत्रियों का महीने में एक बार दौरा हो। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा जिन 144 सीटों पर हारी थी, वहां केंद्रीय मंत्रियों का 15 दिन में एक दौरा होगा। लोकसभा के हिसाब से पार्टी माइक्रो मैनेजमेंट करेगी। इसके तहत जीती हुई लोकसभा सीटों के तहत आने वाली उन विधानसभा सीटों पर, जहां पार्टी 2019 में पिछड़ गई थी, वहां राज्य सरकारों के मंत्री रहकर स्थिति की समीक्षा करेंगे और खामियों को दूर करने की रणनीति बनाएंगे।

2024 में सहयोगियों के साथ मिलकर पार्टी 400 से अधिक सीट जीतने की रणनीति पर काम कर रही है। कुछ सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी, उन लोकसभा सीटों पर भी काम किया जा रहा है। इन सीटों पर केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों से संपर्क साधा जा रहा है। कोशिश है कि सरकारी योजनाओं के दायरे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को शामिल किया जाए। जिन सीटों पर भाजपा ने 2019 में जीत हासिल की थी, वहां अब तक लाभार्थियों की संख्या में कितनी बढ़ोतरी हुई, इसका आकलन कर लिया गया है।

2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होंगे। यही नहीं, चुनाव होते हैं तो पहली बार प्रदेश में बनने वाली सरकार का कार्यकाल भी 5 साल का ही होगा। अब तक राज्य में सरकार का कार्यकाल विशेष प्रावधान के तहत 6 साल के लिए होता था। पहले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को मिला कर विधानसभा की कुल 87 सीटें थीं। इसमें 4 सीटें लद्दाख की शामिल थी, लेकिन लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 83 सीटें रह गई थीं।

परिसीमन के बाद 7 सीटें बढ़ी हैं। इसके बाद कुल सीटों की संख्या 90 हो गई है। इसमें जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा क्षेत्र बनाए गए हैं। 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व की गई हैं। अभी जम्मू-कश्मीर के मुस्लिम बहुल वाले कश्मीर में 46 सीटें हैं और बहुमत के लिए 44 सीटें ही चाहिए। हिंदू बहुल इलाके जम्मू में 37 सीटें हैं। परिसीमन के बाद यह गणित बदल जाएगा। नए परिसीमन के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर की कुल 90 सीटों में से अब 43 जम्मू में और 47 कश्मीर में होंगी। साथ ही 2 सीटें कश्मीरी पंडितों के लिए रिजर्व करने का सुझाव दिया गया है।

कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का कहना है कि जब पूरे देश के बाकी निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन पर 2026 तक रोक लगी है, तो फिर जम्मू-कश्मीर के लिए अलग से परिसीमन क्यों हो रहा है। जम्मू-कश्मीर के परिसीमन के विरोध की दूसरी वजह राजनीतिक भी है। दरअसल, राजनीतिक पार्टियां जनसंख्या के लिहाज से ज्यादा आबादी वाले मुस्लिम बहुल कश्मीर में कम सीटें बढ़ाने और हिंदू बहुल जम्मू में ज्यादा सीटें बढ़ाने के कदम की आलोचना कर रही हैं। उनका आरोप है।

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