मध्य प्रदेश में किसानों के मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच राजनीतिक तकरार तेज हो गई है। कांग्रेस की ‘किसान न्याय यात्रा’ के जरिए सरकार पर किसानों के साथ न्याय न करने का आरोप लगाया जा रहा है, जबकि बीजेपी के नेताओं ने इस यात्रा को किसानों के अपमान के रूप में देखा है।
कृषि मंत्री कंसाना का बयान
कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना ने कांग्रेस की ‘किसान न्याय यात्रा’ को किसानों का अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि “मध्य प्रदेश के किसान खुशहाल हैं, और उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं है। कांग्रेस किसानों के मुद्दे को जबरन तूल देने की कोशिश कर रही है।” कंसाना ने कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब आजादी के बाद 50 साल तक केंद्र और राज्यों में कांग्रेस की सरकार रही, तो उन्होंने किसानों के लिए क्या किया?
कृषि मंत्री का जीतू पटवारी पर जुबानी हमला
कांग्रेस नेता जीतू पटवारी द्वारा आयोजित ‘किसान न्याय यात्रा’ पर भी कृषि मंत्री ने तीखा हमला किया। उन्होंने कहा, “जब जीतू पटवारी अपने ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का सम्मान नहीं कर रहे हैं, तो वे किसानों के साथ न्याय कैसे कर सकते हैं?” कंसाना ने पटवारी पर व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को लेकर पार्टी में फूट डालने का आरोप लगाया, और कहा कि “पटवारी कांग्रेस में तीसरा मोर्चा बनाना चाहते हैं, लेकिन यह संभव नहीं है।”
ऊर्जा मंत्री तोमर का जवाब
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने भी कांग्रेस की आलोचना करते हुए पूछा, “किसानों को सही मूल्य कौन दे रहा है?” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार हर साल किसानों के खाते में 6000 रुपये जमा करती है, और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार किसानों को बिजली पर भारी सब्सिडी देती है। “यदि किसान का 1 रुपये का बिजली बिल आता है, तो सरकार उसमें से 92 पैसे सब्सिडी देती है और केवल 8 पैसे किसान से वसूल करती है,” तोमर ने कहा। उन्होंने सवाल किया कि कांग्रेस की सरकारों ने किसानों के लिए ऐसी कौन सी योजनाएं चलाई थीं जो मौजूदा बीजेपी सरकार से बेहतर हों?
कांग्रेस का पलटवार
कांग्रेस, अपनी ‘किसान न्याय यात्रा’ के जरिए बीजेपी सरकार पर आरोप लगा रही है कि उसने किसानों के मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया और फसलों के सही दाम नहीं दिए जा रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि कांग्रेस किसानों के लिए न्याय की मांग कर रही है, और यह यात्रा उनकी समस्याओं को उजागर करने का प्रयास है।
इस सियासी घमासान में दोनों दल किसानों के हितैषी होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन किसानों के असल मुद्दों का समाधान कब होगा, यह बड़ा सवाल बना हुआ है।