रामकृष्ण आश्रम के बेंगलुरु इकाई के प्रमुख स्वामी हर्षानंद का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। आश्रम अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उनके निधन पर पीएम मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए पीएम मोदी ने ट्वीट किया।
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा बेंगलुरु के बसवनगुड़ी में रामकृष्ण मठ के स्वामी हर्षानंदजी महाराज ने समाज की भलाई के लिए अथक प्रयास किया। मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर उनके दयालु स्वभाव और व्यावहारिक ज्ञान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उनके भक्तों के प्रति संवेदना। शांति।
Swami Harshanandaji Maharaj of the Ramakrishna Math at Basavanagudi, Bengaluru, worked tirelessly for the betterment of society. His compassionate nature and insightful knowledge on a wide range of issues will never be forgotten. Condolences to his devotees. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 12, 2021
मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने संत के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें उत्कृष्ट वक्ता और विद्वान बताते हुए कहा कि उन्होंने रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के दर्शनों को बरकरार रखा।
मिली जानकारी के अनुसार 91 वर्षीय स्वामी उम्र संबंधी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे थे और पिछले कुछ महीने से व्हीलचेयर पर थे। आश्रम के एक अधिकारी ने बताया कि इसके बाद भी वह आश्रम के काम-काज का ध्यान रखते थे।
उन्होंने आगे बताया कि दोपहर में भोजन के बाद वह अपने कक्ष में गए और एक बजे उनका निधन हो गया। आप को बता दे कि यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरय्या कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से वह गोल्ड मेडल प्राप्त करनेवाले मैकेनिकल इंजीनियर थे। बाद में वह संत बन गए।
ಬೆಂಗಳೂರು ಬಸವನಗುಡಿಯ ಶ್ರೀ ರಾಮಕೃಷ್ಣ ಮಠದ ಸ್ವಾಮಿ ಹರ್ಷಾನಂದ್ ಜೀ ಮಹಾರಾಜ್ ಅವರು ಸಮಾಜದ ಒಳಿತಿಗಾಗಿ ಅವಿಶ್ರಾಂತವಾಗಿ ಶ್ರಮಿಸಿದ್ದರು. ಅವರ ಸಹಾನುಭೂತಿಯ ಸ್ವಭಾವ ಮತ್ತು ವಿವಿಧ ಶ್ರೇಣಿಯ ವಿಷಯಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಅವರಿಗಿದ್ದ ಸೂಕ್ಷ್ಮ ಜ್ಞಾನವನ್ನು ಮರೆಯಲು ಸಾಧ್ಯವೇ ಇಲ್ಲ. ಅವರ ಭಕ್ತವೃಂದಕ್ಕೆ ಸಂತಾಪವನ್ನು ಸೂಚಿಸುತ್ತೇನೆ. ಓಂ ಶಾಂತಿ
— Narendra Modi (@narendramodi) January 12, 2021
आश्रम के अधिकारियों ने बताया कि वह स्वामी विवेकानंद की शिक्षा से बेहद प्रभावित थे और 1954 में रामकृष्ण मिशन से जुड़ गए तथा रामकृष्ण मिशन के बेंगुलुरु शाखा के छठे प्रमुख स्वामी विरजानंद के संरक्षण में आध्यात्म की दीक्षा लिये।
अपने प्रशासनिक गुणों के लिए पहचाने जाने वाले स्वामी ने बेंगलुरु, मैसुरू, मंगलुरु और रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूर मठ और इलाहाबाद में काम किया। वह 1989 से रामकृष्ण मठ के अध्यक्ष थे।
अधिकारी ने बताया कि स्वामीजी को कई भाषाओं संस्कृत, कन्नड़, तेलुगु, हिंदी, बंगाली और अंग्रेजी का ज्ञान था। उन्होंने कन्नड़, संस्कृत और अंग्रेजी में कई किताबें लिखी , जिनमें ‘ए कंसाइज इंसाइक्लोपीडिया ऑफ हिंदुइज्म’ शामिल है। वह अच्छे गायक और वक्ता भी थे।