ढाका : दो दिवसीय दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश दौरे पर हैं। आपको बता दें कि पीएम मोदी की कोरोना काल में यह पहली विदेश यात्रा है। बांग्लादेश के आजादी के 50 साल पूरे होने पर पीएम मोदी बतौर मुख्य अतिथि बांग्लादेश पहुंचे। जहां उन्होंने ढाका के नेशनल परेड स्कवॉयर में आयोजित समारोह में कहा कि बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना, मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था।
इसके साथ ही उन्होंने बांग्लादेश की आजादी में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के योगदान को भी याद किया। पीएम मोदी ने कहा कि, ”बांग्लादेश के स्वाधीनता संग्राम को भारत के कोने-कोने से, हर पार्टी से, समाज के हर वर्ग से समर्थन प्राप्त था। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रयास और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सर्वविदित है। उसी दौर में छह दिसंबर 1971 को अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि हम न केवल मुक्ति संग्राम में अपने जीवन की आहूति देने वालों के साथ लड़ रहे हैं, हम इतिहास को भी एक नई दिशा देने के लिए प्रयत्न कर रहे हैं।”
It is a matter of pride for Indians that we got the opportunity to honour Sheikh Mujibur Rahman with Gandhi Peace Prize: PM Narendra Modi in Dhaka, Bangladesh https://t.co/N15wHEjkzs pic.twitter.com/1KGlGnA8rn
— ANI (@ANI) March 26, 2021
पीएम मोदी ने कहा कि, ”मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था। आजादी के समर्थन में मैंने गिरफ्तारी दी थी और जेल भी जाने का अवसर आया था।” उन्होंने कहा कि, ”बांग्लादेश के मेरे भाइयों और बहनों को, यहां की नौजवान पीढ़ी को मैं एक और बात बहुत गर्व से याद दिलाना चाहता हूं। बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना, मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था।”
पीएम मोदी ने कहा कि यहां के लोगों और हम भारतीयों के लिए आशा की किरण थे- बॉन्गोबौन्धु शेख मुजिबूर रॉहमान। बॉन्गोबौन्धु के हौसले ने, उनके नेतृत्व ने ये तय कर दिया था कि कोई भी ताकत बांग्लादेश को ग़ुलाम नहीं रख सकती। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह हमारे लिये गर्व की बात है कि हमें शेख मुजीबुर रहमान को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित करने का अवसर मिला।
उन्होंने कहा कि ये एक सुखद संयोग है कि बांग्लादेश के आजादी के 50 वर्ष और भारत की आजादी के 75 वर्ष का पड़ाव, एक साथ ही आया है। हम दोनों ही देशों के लिए, 21वीं सदी में अगले 25 वर्षों की यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमारी विरासत भी साझी है, हमारा विकास भी साझा है। आपको बता दें कि इस दौरान पीएम मोदी ने शेख मुजीबुर रहमान को मरणोपांत गांधी शांति पुरस्कार भी दी।