प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पांचवें आयुर्वेद दिवस के मौके पर आयुर्वेद संस्थानों- गुजरात के जामनगर के आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए) और जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) को राष्ट्र को समर्पित किया।
जामनगर के आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान को संसद के कानून के माध्यम से राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (आईएनआई) का दर्जा प्रदान किया गया है जबकि जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को विश्वविालय अनुदान आयोग द्वारा मानद विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया है।
Furthering the popularity of Ayurveda in India. #AyurvedaDay https://t.co/iuiADCnqsY
— Narendra Modi (@narendramodi) November 13, 2020
इस दौरान एक संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि आयुर्वेद,भारत की विरासत है जिसके विस्तार में पूरी मानवता की भलाई समाई हुई है। किस भारतीय को खुशी नहीं होगी कि हमारा पारंपरिक ज्ञान, अब अन्य देशों को भी समृद्ध कर रहा है। गर्व की बात है कि WHO ने पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक केंद्र की स्थापना के लिए भारत को चुना है।
पीएम ने कहा कि ये हमेशा से स्थापित सत्य रहा है कि भारत के पास आरोग्य से जुड़ी कितनी बड़ी विरासत है। लेकिन ये भी उतना ही सही है कि ये ज्ञान ज्यादातर किताबों में, शास्त्रों में रहा है और थोड़ा-बहुत दादी-नानी के नुस्खों में, इस ज्ञान को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किया जाना आवश्यक है।
आयुर्वेद,भारत की विरासत है जिसके विस्तार में पूरी मानवता की भलाई समाई हुई है।
किस भारतीय को खुशी नहीं होगी कि हमारा पारंपरिक ज्ञान, अब अन्य देशों को भी समृद्ध कर रहा है।
गर्व की बात है कि @WHO ने Global Centre for Traditional Medicine की स्थापना के लिए भारत को चुना है: PM
— PMO India (@PMOIndia) November 13, 2020
पीएम ने कहा कि देश में अब हमारे पुरातन चिकित्सीय ज्ञान-विज्ञान को 21वीं सदी के आधुनिक विज्ञान से मिली जानकारी के साथ जोड़ा जा रहा है। नई रिसर्च की जा रही है। तीन साल पहले ही हमारे यहां अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान की स्थापना की गई थी।
पीएम ने आगे कहा जब कद बढ़ता है तो दायित्व भी बढ़ता है। आज जब इन 2 महत्वपूर्ण संस्थानो का कद बढ़ा है, तो मेरा एक आग्रह भी है- अब आप सब पर ऐसे पाठ्यक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी है जो अंतरराष्ट्रीय आचरण के अनुकूल और वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप हो। मुझे विश्वास है कि हमारे साझा प्रयासों से आयुष ही नहीं बल्कि आरोग्य का हमारा पूरा सिस्टम एक बड़े बदलाव का साक्षी बनेगा।
ये हमेशा से स्थापित सत्य रहा है कि भारत के पास आरोग्य से जुड़ी कितनी बड़ी विरासत है।
लेकिन ये भी उतना ही सही है कि ये ज्ञान ज्यादातर किताबों में, शास्त्रों में रहा है और थोड़ा-बहुत दादी-नानी के नुस्खों में।
इस ज्ञान को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किया जाना आवश्यक है: PM
— PMO India (@PMOIndia) November 13, 2020
पीएम मोदी ने कहा कि इसी साल संसद के मानसून सत्र में दो ऐतिहासिक आयोग भी बनाए गए हैं। जिसमें National Commission for Indian System of Medicine National Commission for Homeopathy शामिल है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत की मेडिकल एजुकेशन में इंटीग्रेशन की एप्रोच को प्रोत्साहित किया गया है।
देश में अब हमारे पुरातन चिकित्सीय ज्ञान-विज्ञान को 21वीं सदी के आधुनिक विज्ञान से मिली जानकारी के साथ जोड़ा जा रहा है, नई रिसर्च की जा रही है।
तीन साल पहले ही हमारे यहां अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान की स्थापना की गई थी: PM
— PMO India (@PMOIndia) November 13, 2020
प्रधानमंत्री ने कहा कि 21 वीं सदी का भारत अब टुकड़ों में नहीं, समग्रवादी तरीके से सोचता है। स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों को भी अब समग्र दृष्टिकोण के साथ उसी तरीके से ही सुलझाया जा रहा है। आज देश में सस्ता और प्रभावी इलाज के साथ में निवारक स्वास्थ्य देखभाल कल्याण पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है।