नई दिल्ली: नए श्रम कानून बनकर तैयार है, जिसे सिर्फ लागू करना बाकी है। हालांकि इसे लेकर केंद्र सरकार को अभी राज्य सरकारों से बातचीत करना शेष है। लेकिन इस कानून के लागू होने से एक तरफ जहां आपको कई सारे फायदे मिलेंगे, वहीं इसके कई घाटे भी है। जिसका सीधा असर आपके लाइफस्टाइल पर पड़ेगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक अगले वित्तवर्ष 2022 में श्रम कानून को लागू किया जा सकता है।
अगर नया श्रम कानून लागू हुआ तो अगले वित्त वर्ष से कर्मचारियों को हफ्ते में पांच के बजाए चार दिन ही काम करना पड़ेगा। हालांकि इसके बदले में उन्हें प्रतिदिन 12 घंटे काम करना पड़ेगा। श्रम मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि नए कानून लागू होने के बाद हफ्ते में 48 घंटे के काम का प्रावधान जारी रहेगा। वहीं नए श्रम कानून के लागू होने के बाद कर्मचारियों की टेकहोम सैलरी भी घट जाएगी। हालांकि पीएफ में योगदान बढ़ जाएगा। नई श्रम संहिता में भत्तों को 50 फीसदी तक ही सीमित रखा गया है। इससे कर्मचारियों के कुल वेतन का 50 फीसदी मूल वेतन हो जाएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक नए कानून बेसिक पे और पीएफ के कैलकुलेशन में बड़े बदलाव लाएंगे। इसे इस तरह से समझें कि अगर किसी कर्मचारी की मंथली सैलरी 50 हजार है तो उसका बेसिक पे 25000 हो सकता है। बाकी 25000 अलाउंसेज में जाएगा। ऐसे में अगर बेसिक सैलरी बढ़ती है तो पीएफ अधिक कटेगा और इनहैंड सैलरी कम हो जाएगी। साथ ही एंप्लॉयर या कंपनी का कॉन्ट्रीब्यूशन बढ़ जाएगा।
केंद्र सरकार ने पहले ही चार नए श्रम कानूनों को फाइनल कर दिया है। अब राज्यों की तरफ से इस पर नियम निर्धारण का इंतजार है। वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि चूंकि श्रम एक समवर्ती विषय है, इसलिए सरकार चाहती है कि सभी राज्यों में यह एक साथ लागू हो। करीब 13 राज्यों ने व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति पर श्रम संहिता के मसौदा नियम तैयार कर लिए हैं। केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस बात की जानकारी राज्यसभा में दी है। उनके मुताबिक 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने मजदूरी पर श्रम संहिता के मसौदा नियम तैयार कर चुके हैं। वहीं औद्योगिक संबंध संहिता के मसौदा नियमों को 20और सामाजिक सुरक्षा संहिता के मसौदा नियमों को 18 राज्यों ने तैयार किया है।
श्रम कानून के अलावा सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध और व्यवसायिक सुरक्षा कानून भी बनकर तैयार है, जिसे अगले साल यानी की नए श्रम कानून के साथ लागू किया जा सकता है।