रिपोर्ट: मोहम्मद आबिद
दिल्ली: कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है और अब किसानों को तीन महीने का समय होने वाला है और बिल वापसी को लेकर किसान डटे हुए हैं। जहां एक तरफ किसान गाजीपुर बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा धीरे धीरे कम होने के साथ ही घरों की ओर अपना रूख कर लिया है।
दिल्ली में जब से किसानों का आंदोलन जारी हुआ तब से किसान आंदोलन स्थल पर हजारों की संख्या में पहुंच रहे थे लेकिन जब की तुलना में किसान अब आधे भी नजर नहीं आ रहे हैं लेकिन किसानों के आधे भी नहीं रहने के पीछे यह किसान नेताओं की रणनीति नजर आ रही है।
प्रदर्शनकारी किसानों के सामने यह स्थिती अब साफ तौर पर नजर आ रही है की लड़ाई अब लम्बी चलने वाली है और ऐसे में सीमाओं पर जमे किसानों की संख्या का कम होना उनकी नई रणनीति का हिस्सा है, जिसका मकसद आंदोलन को देश के अलग-अलग हिस्सों तक फैलाना है।
बतादें की नई रणनीति के तहत देश के सभी राज्यों में बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन किया जा रहा है और आंदोलन के लिए सभी का समर्थन जुटाना सबसे बड़ा मकसद बन गया है।बतादें की किसान नेता राकेश टिकैत देशभर में महापंचायतों का आयोजन करने की योजना बना चुके हैं। और आने वाले समय में देश के कई राज्यों में कई बड़ी सभाओं को संबोधित कर सकते हैं।
बतादें की तीन महीने से जारी किसानों और सरकार के बीच लगभग 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई भी नतीजा नहीं निकला है और सरकार की ओर से दिए उस प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया जिसमें कानून को डेढ़ साल तक होल्ड पर डालने की बात थी। पीएम मोदी ने कहा कि यह प्रस्ताव अभी भी मौजूद है।