केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि वह NEET-UG परीक्षा को सुधारने के लिए विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को लागू करेगी। यह समिति परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी और गड़बड़ी-मुक्त बनाने के लिए गठित की गई थी।
नीट-यूजी पर समिति का गठन
नीट-यूजी परीक्षा के संचालन को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के कामकाज की समीक्षा के लिए सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया। इस समिति का नेतृत्व इसरो के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन कर रहे हैं। समिति में अन्य प्रमुख सदस्य जैसे रणदीप गुलेरिया, बीजे राव, राममूर्ति के, पंकज बंसल, आदित्य मित्तल और गोविंद जायसवाल शामिल हैं। इनकी जिम्मेदारी परीक्षा की पारदर्शिता सुनिश्चित करने, सुरक्षा बढ़ाने और गड़बड़ियों को रोकने की है।
समिति की जिम्मेदारियां और भूमिका
विशेषज्ञ समिति को परीक्षा प्रक्रिया से जुड़े कई मुद्दों पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इनमें पेपर लीक जैसी घटनाओं की रोकथाम, परीक्षा केंद्रों की सुरक्षा व्यवस्था की जांच और डेटा सुरक्षा को मजबूत करना शामिल है। झारखंड के हजारीबाग में प्रश्न पत्र की सुरक्षा भंग होने और गलत पेपर सेट बांटने जैसी घटनाओं की भी जांच इस समिति के कार्यक्षेत्र में शामिल थी।
सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में, केंद्र सरकार ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से जानकारी दी कि समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सरकार इन सिफारिशों को लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में तय की है, जिससे पहले सभी सुधार लागू करने की योजना है।
परीक्षा में विवाद और समाधान
2024 में नीट-यूजी परीक्षा में 23 लाख से अधिक छात्रों ने भाग लिया। हालांकि, परीक्षा के दौरान कुछ केंद्रों पर पेपर लीक और सुरक्षा उल्लंघन की शिकायतें दर्ज की गईं। सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त 2024 को परीक्षा को दोबारा कराने की याचिका खारिज कर दी थी, क्योंकि पेपर लीक के पर्याप्त सबूत नहीं मिले।
इन सुधारों का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि परीक्षा प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सुरक्षित होगी। गड़बड़ियों की संभावना समाप्त होने से छात्रों और अभिभावकों का विश्वास बढ़ेगा। डेटा सुरक्षा और तकनीकी उन्नयन से परीक्षा प्रणाली मजबूत बनेगी और छात्रों को निष्पक्ष अवसर मिलेंगे।
नीट-यूजी परीक्षा को लेकर केंद्र सरकार का यह कदम छात्रों के भविष्य को सुरक्षित और शिक्षाव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें लागू होने से परीक्षा प्रक्रिया में सुधार आएगा और छात्रों का भरोसा बढ़ेगा।