नई दिल्ली : नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि ने असुरों का वध करने के लिए यह रूप लिया था। शक्ति का यह रूप शत्रु और दुष्टों का संहार करने वाला है। ऐसी मान्यता है कि मां कालरात्रि ही वह देवी हैं जिन्होंने मधु कैटभ जैसे असुर का वध किया था। कहते हैं कि महा सप्तमी के दिन पूरे विधि-विधान से कालरात्रि की पूजा करने पर मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। माना जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों को भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का भय नहीं सताता। मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में बहुत ही भंयकर है, लेकिन मां कालरात्रि का हृदय बहुत ही कोमल और विशाल है। मां कालरात्रि की नाक से आग की भयंकर लपटें निकलती हैं। मां कालरात्रि की सवारी गर्धव यानि गधा है।
नवरात्रि में मां कालरात्रि की पूजा का महत्व
12 अक्टूबर 2021, मंगलवार को पंचांग के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है। सप्तमी की तिथि को नवरात्रि के सातवे दिन की पूजा की जाती है। सप्तमी तिथि नवरात्रि में मां कालरात्रि को समर्पित है। इस दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं। साथ ही, तनाव, अज्ञात भय और नकारात्मक ऊर्जा से भी मुक्ति मिलती है।
नवरात्रि-पूजा विधि (Maa Kalratri Puja)
आश्वनि मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी की सुबह स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए। मां कालरात्रि की पूजा में अनुशासन और स्वच्छता के नियमों का विशेष पालन करना चाहिए। मां कालरात्रि की पूजा में मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल,अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ नैवेद्य आदि का अर्पण किया जाता है। इस दिन गुड़ का विशेष महत्व बताया गया है। मां कालरात्रि को लाल रंग प्रिय है। इस दिन पंचांग के अनुसार अभिजीत मुहूर्त प्रात: 11:44:20 से दोपहर 12:30:41 तक रहेगा।
मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के मंत्र (Maa Kalratri Mantra)
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: .
ॐ कालरात्र्यै नम:
ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।
मां कालरात्रि: स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।