मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से बड़ी राजनीतिक हलचल की खबर सामने आई है। भाजपा ने नगर निगम अध्यक्ष धर्मेंद्र सोनू बाबू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली है। छिंदवाड़ा, जो कभी पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का गढ़ रहा है, अब भाजपा की नजर में आखिरी किला है, जिसे वे फतह करना चाहती है।
अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 32 पार्षदों की सहमति
भाजपा ने एक बड़ी बैठक आयोजित की, जिसमें 32 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए। छिंदवाड़ा नगर निगम में 48 पार्षद हैं, और किसी भी निर्णय के लिए 25 पार्षदों का समर्थन आवश्यक है। भाजपा समर्थित पार्षदों की संख्या 34 तक पहुंच गई है, जिसमें से 32 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन कर दिया है। गुरुवार देर रात यह प्रस्ताव पास कर दिया गया। अब 8 अक्टूबर को वोटिंग होगी।
भाजपा की रणनीति और बहुमत का आंकड़ा
भाजपा अब छिंदवाड़ा नगर निगम में अध्यक्ष पद पर कब्जा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। हाल ही में भाजपा के नाराज पार्षदों को भी मना लिया गया है, और उन्हें अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिए सहमत किया गया है। इसके बाद महापौर विक्रम अहाके सहित कुछ अन्य पार्षद भी भाजपा का समर्थन करने लगे हैं, जिससे धर्मेंद्र सोनू बाबू की कुर्सी पर संकट मंडराने लगा है।
विजय पांडे और एक महिला पार्षद के नाम पर चल रहा मंथन
कांग्रेस में निगम अध्यक्ष बनने के लिए भाजपा पूरी तरह से तैयार नजर आ रही है। वरिष्ठ पार्षद विजय पांडे और एक महिला पार्षद के नाम पर अध्यक्ष बनाने का मंथन चल रहा है। हालांकि अध्यक्ष को कौन होगा इस पर अभी अंतिम मोहर लगनी बाकी है।
कांग्रेस की स्थिति
2022 के नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने छिंदवाड़ा में महापौर पद पर कब्जा किया था और धर्मेंद्र सोनू बाबू को नगर निगम अध्यक्ष चुना गया था। लेकिन बदलते राजनीतिक समीकरणों के चलते अब कांग्रेस के पास केवल 14 पार्षद रह गए हैं, जिससे नगर निगम अध्यक्ष की स्थिति कमजोर हो गई है।
छिंदवाड़ा, जो कभी कमल नाथ का मजबूत गढ़ माना जाता था, अब भाजपा की रणनीति का केंद्र बन गया है। अगर अविश्वास प्रस्ताव पास होता है, तो यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है और भाजपा छिंदवाड़ा नगर निगम में अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है।