मध्य प्रदेश की मोहन कैबिनेट की अगली बैठक 5 अक्टूबर को पहली बार दमोह के सिंग्रामपुर में आयोजित की जाएगी। खास बात यह है कि यह बैठक गोंड शासिका रानी दुर्गावती की जयंती के दिन हो रही है, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है।
इस कैबिनेट बैठक में प्रदेश के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने की संभावना है। इसके साथ ही, आदिवासियों को विकास की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए भी बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। इस दिन दमोह में एक मंचीय कार्यक्रम भी प्रस्तावित है, जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और लगभग सभी कैबिनेट तथा राज्य मंत्री शामिल होंगे। साथ ही, लाड़ली बहनों को मासिक किस्त का वितरण भी इसी दिन किया जाएगा।
पिछले वर्ष रानी दुर्गावती की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबलपुर आए थे और उन्होंने एक बड़े कार्यक्रम को संबोधित किया था। मोहन सरकार इस बार रानी दुर्गावती की जयंती को भव्य तरीके से मनाने की तैयारियों में जुटी है।
रानी दुर्गावती का इतिहास
दमोह जिले के सिंग्रामपुर में होने वाली यह कैबिनेट बैठक रानी दुर्गावती की जयंती के अवसर पर हो रही है। रानी का जन्म 1524 में दुर्गाष्टमी के दिन वर्तमान उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के कालिंजर किले में हुआ था। रानी दुर्गावती, कालिंजर के राजा कीर्ति सिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं। दमोह जिले के सिंग्रामपुर में स्थित उनका किला आज भी उनकी वीरता की गाथाएं सुनाता है।
यह किला दमोह-जबलपुर हाइवे के निकट सिंग्रामपुर गांव में है और रानी की प्रतिमा स्थल से 6 किमी दूर स्थित है। दमोह जिले के बटियागढ़ ब्लॉक के आंजनी गांव में रानी की 7वीं पीढ़ी आज भी निवास करती है। इंदुर शाह, जो खुद को रानी दुर्गावती के वंशज मानते हैं, बताते हैं कि उनके पूर्वजों ने कभी झुकना नहीं सिखाया, जो आज भी गोंडवाना साम्राज्य की अलग पहचान को बनाए रखता है।