मध्य प्रदेश में एक अनोखी पहल के तहत गाय के गोबर से बायो CNG बनाने का प्लांट स्थापित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अक्टूबर बुधवार को वर्चुअल माध्यम से इस बायो सीएनजी प्लांट का उद्घाटन किया। यह प्लांट ग्वालियर की लाल टिपारा गोशाला में स्थित है, जो प्रदेश की सबसे बड़ी गोशाला है। यहां हर दिन लगभग 100 टन गोबर उत्पन्न होता है, जिससे प्लांट में 2 टन बायो सीएनजी तैयार की जाएगी।
बायो CNG प्लांट के प्रमुख लाभ
स्थानीय आय का साधन: इस प्लांट से ग्वालियर नगर निगम के वाहनों के लिए बायो CNG तैयार की जाएगी, साथ ही इसे आम नागरिकों को भी उपलब्ध कराने की योजना है।
गोबर का सही उपयोग: गोशाला में प्रतिदिन निकलने वाले गोबर का सही उपयोग करते हुए बायो CNG बनाई जाएगी, जिससे पर्यावरण की सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा का विकास होगा।
खेती के लिए उपयोगी वेस्ट: बायो गैस उत्पादन के बाद बचे हुए वेस्ट को खेती में उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे किसानों को भी सीधा लाभ मिलेगा।
अधिक माइलेज वाली CNG: सामान्य CNG की तुलना में बायो CNG में 95% मीथेन होता है, जिससे बायो CNG से चलने वाले वाहनों का माइलेज अधिक होता है।
मध्य प्रदेश में पहला ऐसा प्लांट
यह मध्य प्रदेश का पहला ऐसा संयंत्र है जो पूरी तरह से गाय के गोबर का उपयोग करके बायो CNG बनाएगा। इंदौर में पहले से बायो CNG प्लांट है, लेकिन वहां गीले कचरे का उपयोग किया जाता है। इस परियोजना की लागत 31 करोड़ रुपये है, जिसे इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन द्वारा वहन किया गया है।
गोशाला के प्रबंधन से जुड़े संत स्वामी ऋषभ देवानंद ने बताया कि यह देश की सबसे आदर्श गोशाला में से एक है। इस संयंत्र के माध्यम से गोबर को सचमुच धन में बदला जा रहा है। यह प्लांट न केवल पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद करेगा, बल्कि प्रदेश की आर्थिक प्रगति में भी अहम योगदान देगा।