मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में आपातकाल पर एक अध्याय शामिल करने की घोषणा की। यह अध्याय आपातकाल के दौरान की गई “ज्यादतियों और दमन” की व्याख्या करेगा, जो 1975 में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाया गया था।
यादव के मुताबिक इस कदम के पीछे का मकसद मौजूदा पीढ़ी को 1975 से 1977 के आपातकाल के दौरान हुए संघर्ष से अवगत कराना है। सीएम ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “…देश में मौजूद परिस्थितियों, दमन और तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा उठाए गए कठोर कदम का विरोध करने के लिए लोकतंत्र सेनानियों के दृढ़ संकल्प पर एक सबक स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।”
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोकतंत्र सेनानी संघ द्वारा दिए गए ज्ञापन को पढ़ते हुए कहा कि लोकतंत्र सेनानियों को सर्किट हाऊस और विश्राम गृह में तीन दिन तक रुकने की सुविधा तथा किराये में 50 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाएगी।
लोकतंत्र के प्रहरियों को सादर प्रणाम…
आज मुख्यमंत्री निवास में आयोजित "लोकतंत्र सेनानी प्रादेशिक सम्मेलन" में पधारे लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया।
भारत में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए आपने जो संघर्ष किया है, उसके लिए समस्त देशवासी आपके कृतज्ञ हैं तथा मैं आप सबको यह… pic.twitter.com/HPGCbaTglH
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) June 26, 2024
यादव ने आपातकाल के खिलाफ संघर्ष में भाग लेने वाले ‘लोकतंत्र सेनानियों’ (लोकतंत्र सेनानियों) के लिए कई अतिरिक्त सुविधाओं की भी घोषणा की, जैसे टैरिफ में 50 प्रतिशत की छूट पर तीन दिनों के लिए सरकारी सर्किट और विश्राम गृहों में रहना, टोल भुगतान में छूट राजमार्गों पर, लोकतंत्र सेनानियों को उनके आयुष्मान स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से इलाज पर होने वाले खर्च के भुगतान में कोई देरी नहीं होगी।
इसके अलावा, लोकतंत्र सेनानियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के मामले में एयर एम्बुलेंस प्रदान की जाएगी, और आपातकाल विरोधी योद्धाओं को किराए में 25 प्रतिशत की छूट मिलेगी। यादव ने सेनानियों के संबंधित कलेक्टरों को तीन माह के भीतर भुगतान सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया।
यादव ने कहा कि राजकीय सम्मान के साथ ‘लोकतंत्र सेनानियों’ के अंतिम संस्कार के लिए सभी व्यवस्थाएं की जाएंगी। इसके अलावा, अंतिम संस्कार के समय उनके परिवारों को दी जाने वाली राशि मौजूदा ₹8,000 से बढ़ाकर ₹10,000 कर दी जाएगी। इसके साथ ही लोकतंत्र सेनानियों के परिवार के सदस्यों को उद्योग या अन्य व्यावसायिक उद्यम स्थापित करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करके रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जायेंगे।
25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू कर दिया, विपक्षी नेताओं और असंतुष्टों को जेल में डाल दिया और प्रेस सेंसरशिप लागू कर दी। इस वर्ष इस अवधि की शुरुआत की 50वीं वर्षगांठ मनाई गई।