केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजनाओं की सफलता के बाद मध्यप्रदेश सरकार अब तीसरी नदी जोड़ो योजना ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इस ऐतिहासिक परियोजना के लिए मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकार के बीच 10 मई को भोपाल में एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर होंगे।
भोपाल में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दोनों मौजूद रहेंगे। यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नदी जोड़ो कल्पना को साकार करने की दिशा में एक और अहम कदम माना जा रहा है।
सरकार के अनुसार यह परियोजना दुनिया का सबसे बड़ा भूजल रिचार्ज मॉडल होगी। इसमें ताप्ती बेसिन और कान्हा उप-बेसिन क्षेत्र में जल पुनर्भरण कार्य किया जाएगा, जिससे न केवल मध्यप्रदेश बल्कि महाराष्ट्र और गुजरात को भी लाभ मिलेगा।
परियोजना के तहत कुल 31.13 टीएमसी (Thousand Million Cubic) पानी का उपयोग होगा, जिसमें से
इससे मध्यप्रदेश में 1.23 लाख हेक्टेयर और महाराष्ट्र में 2.34 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी।
इस परियोजना का सीधा लाभ मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा, बुरहानपुर और खंडवा जिलों को मिलेगा। वहीं, महाराष्ट्र के नागपुर और उत्तरी क्षेत्र को पेयजल संकट से राहत मिलेगी। छिंदवाड़ा में सिंचाई और नागपुर में जल आपूर्ति की वर्षों पुरानी समस्या अब सुलझ सकेगी।
पहले 66 टीएमसी जलाशय निर्माण की योजना थी, लेकिन विस्थापन और वन्य क्षेत्रों पर असर को ध्यान में रखते हुए अब भूजल पुनर्भरण मॉडल को प्राथमिकता दी गई है। इस परियोजना से किसी भी गांव का विस्थापन नहीं होगा, इसलिए पुनर्वास कार्यक्रम की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
ताप्ती बेसिन योजना मध्यप्रदेश के लंबे समय से चल रहे जल-बंटवारे विवादों को भी सुलझाने का मार्ग प्रशस्त करेगी। यह समझौता उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाद अब महाराष्ट्र के साथ एक और सफल जल-साझेदारी की मिसाल बनेगा।