कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी के नाम से जाना जाता है ,हिन्दू धर्म में बारह माह होते है और हर माह की एकादशी को श्री विष्णु की पूजा की जाती है लेकिन सिर्फ कार्तिक माह की नवमी ही एक ऐसा दिन है जब उस दिन भी विष्णु की पूजा की जाती है।
इस दिन महिलाएं आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर उनकी पूजा करती है ,माना जाता है की आंवले के पेड़ के अंदर खुद भगवान विष्णु का वास होता है इसलिए आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है।
इस बार यह पर्व 23 नवंबर को है। यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का भारतीय संस्कृति का पर्व है। इस दिन आंवले के पेड़ का पूजन कर परिवार के लिए आरोग्यता व सुख -सौभाग्य की कामना की जाती है।
कई जगह मान्यता के अनुसार इस दिन यथा सम्भव पूजा पाठ करके देवताओं को भोजन अर्पित किया जाता है। इसके बाद ब्राह्मणों को भी भोजन करवाया जाता है और उन्हें दक्षिणा दी जाती है।
श्री विष्णु की पत्नी लक्ष्मी है और इस दिन उनको भी प्रसन्न करने का विधान है। जहां विष्णु की पूजा होती है वहां स्वयं लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए आज के दिन पूजा में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए !
कहा गया है की इस दिन आंवले का किसी और पेड़ को नहीं काटना चाहिए ! इससे माँ लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है। इसके अलावा आंवले के पेड़ के आस पास गन्दगी भी नहीं करनी चाहिए। इस दिन पूजा में शुद्धता का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।
इस दिन कहा जाता है की पुरे विधि विधान से जो विष्णु और माता लक्ष्मी का ध्यान करता है उसे अवश्य माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।