नई दिल्ली : फ्रांस में सरेआम दिनदहाड़े शिक्षक की गला काटकर हत्या और अन्य तमाम आतंकी घटनाओं के बाद फांसीसी सरकार काफी सख्त नजर आ रही है, जिसे लेकर अब उसने ऐसा सख्त कदम उठाया है, जिसे लेकर कई मुसलिम संगठन अपनी आवाज बुलंद करने लगे है। आपको बता दें कि फ्रांस (France) की संसद के निचले सदन में मंगलवार को कट्टर औऱ अलगाववादी इस्लाम पर रोक लगाने वाले कानून को मंजूरी दे दी गई है। हालांकि इस विधेयक के प्रारूप को विपक्ष ने यह कहकर खारिज किया कि इसके जरिये मुसलमानों का उत्पीड़न किया जाएगा और अन्य धार्मिक संगठनों की आवाज दबाने का हथियार कानून की शक्ल में सरकार को मिल जाएगा।
वहीं अगर हम सरकार के इस कानून की बात करें तो इस कानून के तहत मस्जिद महज धार्मिक स्थल मानी जाएगी और वहां अब पढ़ाई नहीं होगी। पढ़ने के लिए मुस्लिम बच्चों को स्कूल में ही जाना होगा। बता दें कि इस कानून के बनने से पहले से फ्रांस में फाइट रेडिकल इस्लाम एंड कम्युनिटी विथड्राल की टीम सभी संदिग्ध स्थानों पर निरीक्षण के लिए जा रही है और उनकी सूचनाएं एकत्र कर रही है।
गृह मंत्रालय के अनुसार बीते दिसंबर महीने में ही 476 स्थानों पर छापेमारी की गई और उनमें से 36 को खतरनाक मानकर बंद करा दिया गया, जबकि 2019 से इस तरह की छापेमारी 3,881 स्थानों पर हुई है। इनमें से 126 परिसर संदिग्ध मानकर बंद करा दिए गए हैं।
अब फ्रांस की कैबिनेट में पेश होने वाले बिल के तहत देश में सभी मस्जिदों की निगरानी बढ़ाई जाएगी। उन्हें मिलने वाली वित्तीय मदद और इमामों की ट्रेनिंग पर भी नजर रखी जाएगी। इसके साथ ही इंटरनेट पर नफरत फैलाने वाली सामग्री पोस्ट करने के खिलाफ भी नियम बनेंगे और सरकारी अधिकारियों को धार्मिक आधार पर डराने धमकाने पर जेल की सजा का प्रावधान भी होगा। आपको बता दें कि यह बिल 2021 के शुरू में संसद में पहुंच सकता है जिसके कुछ महीनों बाद इसे कानून की शक्ल दी जा सकती है। हालांकि इसके विरोधियों का मानना है कि फ्रांस की सरकार के कदमों से मुसलमानों की छवि को और नुकसान होगा।