महाकुंभ 2025 के पवित्र आयोजन में उत्तराखंड पवेलियन विशेष आकर्षण का केंद्र बन गया है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर बने इस भव्य पवेलियन में श्रद्धालु देवभूमि की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव कर रहे हैं।
उत्तराखंड पवेलियन को शानदार तरीके से डिजाइन किया गया है। प्रवेश द्वार को “केदारनाथ द्वार” और निकास द्वार को “बदरीनाथ द्वार” के रूप में सजाया गया है। यहां श्रद्धालुओं के लिए केदारनाथ, बदरीनाथ, जागेश्वर धाम, गोल्ज्यू देवता और नीम करोली बाबा जैसे दिव्य मंदिरों की प्रतिकृतियां प्रस्तुत की गई हैं।
तीर्थयात्रियों के लिए विशेष सुविधाएं
उत्तराखंड पवेलियन में तीर्थयात्रियों को आवासीय सुविधाएं, स्वादिष्ट भोजन और आरामदायक टेंट सिटी का आनंद मिलता है। ठहरने की इन सुविधाओं को बेहतरीन तरीके से तैयार किया गया है ताकि तीर्थयात्री अपने अनुभव को यादगार बना सकें।
संस्कृति और लोक कला का प्रदर्शन
पवेलियन में उत्तराखंड की पारंपरिक कला और संस्कृति को दिखाने के लिए विशेष स्टॉल लगाए गए हैं। यहां हस्तशिल्प, पारंपरिक उत्पाद और लोक संगीत का प्रदर्शन किया जा रहा है। सांस्कृतिक कार्यक्रम देवभूमि की समृद्ध परंपराओं की झलक प्रदान कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में इस भव्य पवेलियन की स्थापना हुई है। उनका कहना है कि महाकुंभ 2025 के अनुभवों से 2026 में हरिद्वार में होने वाले कुंभ मेले की तैयारियों को और बेहतर बनाया जा सकेगा।
उत्तराखंड पवेलियन में हर दिन 10 से 15 हजार श्रद्धालु आकर इसकी दिव्यता और भव्यता का आनंद ले रहे हैं। यह न केवल धार्मिक यात्रा है, बल्कि एक सांस्कृतिक अनुभव भी है।
महाकुंभ 2025 में उत्तराखंड की पहचान
यह पवेलियन उत्तराखंड की पहचान को वैश्विक स्तर पर स्थापित कर रहा है। यहां आने वाले तीर्थयात्री देवभूमि की पवित्रता, सौंदर्य और सांस्कृतिक विविधता को करीब से अनुभव कर रहे हैं।
महाकुंभ 2025 का उत्तराखंड पवेलियन तीर्थयात्रियों के लिए एक अनूठा और दिव्य अनुभव है। यह न केवल धार्मिक स्थलों की झलक दिखाता है, बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा को जीवंत करता है। इस भव्य पवेलियन की भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है और यह महाकुंभ 2025 का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।