लखनऊ की श्रेष्ठ परम्पराओ में से एक पावन परंपरा है- ग्रीष्म काल अर्थात ज्येष्ठ के महीने में पड़ने वाले मंगल को लगने वाले भंडारे, जिसमे मानव ही क्या पशु पक्षी सभी की आत्मा को तृप्त करने का सामर्थ्य है।
लखनऊ वासी इस अवसर पर भंडारा आयोजित करके प्राणी मात्र की सेवा का अवसर पाते है। जेठ का माह प्रारम्भ हो गया है जिसका प्रथम बड़ा मंगल 12 मई को है। महापौर संयुक्ता भाटिया ने लखनऊवासियों से इस बार ई-भंडारा करने के लिए अपील भी की थी।
अभियान के प्रथम वर्ष में लगभग 1000 भंडारा आयोजकों को प्रत्यक्षतः अभियान से जोड़ा गया और शहर में भंडारों की स्वच्छता एवं व्यवस्था चर्चा का विषय बना।
आयोजकों ने भंडारे का बाद स्वच्छता का वीडियो बना कर भी भेजा। जन सामान्य ने अभियान को सराहा और इसकी आवश्यकता को समय की मांग बताया। आखिरी मङ्गल आते आते अभियान लखनऊ की सीमाओं से निकलकर आस पास के जिलों तक भी पहुंचा।
सभी वर्गों, पंथों, धर्मो के लोगो के मध्य यह अभियान एक अनुकरणीय पहल के रूप में स्थापित हुआ और स्वच्छता एवं पवित्रता का मंगल सन्देश पहुचाने में अभियान सफल हो रहा।
महापौर संयुक्ता भाटिया का कहना था कि कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न हुई विशेष परिस्थितियों के चलते २०२० के ज्येष्ठ के मंगलो का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। आज की आवश्यकता हर मंगल को बड़ा मंगल और हर दिन को मंगल करने की है।
परन्तु लॉकडाउन एवं सोशल डिस्टैन्सिंग के दिशा-निर्देशों के परिपेक्ष्य में परंपरागत स्वरुप में भंडारों का आयोजन अत्यंत ही दुरूह कार्य है। बड़े मंगलों का लखनऊ में अपना ही महत्व है।
वर्तमान कठिन समय मे नगर निगम द्वारा संचालित कम्युनिटी किचन के साथ ही अन्य विभागों की कम्युनिटी किचेन के साथ ही सेवा भारती की कम्युनिटी किचन लखनऊ में गरीब लोगों की सेवा में अद्भुत कार्य कर ‘लखनऊ में कोई भूखा न सोए’ इस संकल्प को साकार करने में दिन रात प्रयत्न कर रहे है।
आयोजक द्वारा ई-भंडारा का अनुरोध प्राप्त होते ही मंगलमान की और से एक सेवाभावी कार्यकर्त्ता जिसे ई-भंडारा कोऑर्डिनेटर कहते है आयोजक के साथ जुड़ जायेगा।
इसकी भूमिका कदम दर कदम सहयोगी की होगी जो आयोजक के साथ मिलकर ई-भंडारे के सफल आयोजन को सुनिश्चित करेगा। उनके द्वारा प्रदान किया गया प्रसाद नगर निगम की देखरेख में नगर निगम एवं सहयोगी संस्थाओं के समन्यवय से जरूरतमंद लोगो के मध्य वितरित करा दिया जायेगा