उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक नटवरलाल ने सरकारी डाकखाने को ही बेच दिया।
यही नहीं रातोंरात डाकखाने की बिल्डिंग गायब कर उसपर हमला कब्जा कर लिया। इस घटना की पुलिस और प्रशासन को भनक तक नहीं लगी। एक साल बाद लेखपाल की रिपोर्ट में खुलासा हुआ तो 17 लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट लगाया गया और दो लोगों को भूमाफिया घोषित किया गया है। डाकघर ने अपनी भूमि पर दोबारा कब्जा कर बाउंड्री करवा ली है।
मामला पीलीभीत के सदर कोतवाली क्षेत्र के मेन बाजार का है। जेपी रोड पर सन् 1860 बने सिटी पोस्ट ऑफिस की हालत जर्जर हो गई थी।
बिल्डिंग की हालत देखते हुए डाकघर ने यहां ताला लगा दिया था और शहर में दूसरी जगह डाकखाना खोल लिया। इसके बाद सिटी पोस्ट ऑफिस की सरकारी इमारत खाली पड़ी थी। भूमाफियाओं और जालसाजों ने मिलकर दिसंबर 2018 में इस इमारत को ही बेच दिया।
क्षेत्रीय लेखपाल को जब इस मामले की जानकारी हुई तो उसने जिला प्रशासन को रिपोर्ट भेजी। लेखपाल ने बताया कि इस बिल्डिंग को बेचा गया है और सरकारी डाकखाने की बिल्डिंग पर अवैध कब्जा हो सकता है।
आरोप लगाया गया कि उस समय किसी अधिकारी ने घ्यान नहीं दिया, क्योंकि उस समय के एक बड़े अधिकारी के लखनऊ में रह रहे भांजे पारसमणि पांडे व पीलीभीत की नगर पंचायत के भाजपा चेयरमैन ममता गुप्ता के बेटे शिवा गुप्ता ने यह बिल्डिंग फर्जी रूप से खरीदी थी। बताया गया कि आरोपियों ने एक साल पहले रात के अंधेरे में जेसीबी से पूरी इमारत गिराई और मलबा हटाकर उसपर कब्जा कर लिया। सुबह तक इमारत एक खाली प्लाट में तब्दील हो गई और एक टेंट में भूमाफिया बैठे मिले।