{ बॉबी ठाकुर की रिपोर्ट }
आपदा कोई सी भी सही श्रमिक मजदूर पर भारी भारी पडती है। हालांकि सरकार ने मजबूर प्रवासी मजदूरो को घर घर पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेने और रोडवेज बसो को लगाई, परंतु यह शासन की व्यवस्था नाकामी साबित हुई।
लगातार श्रमिक का पलायन जारी, मालिको ने हाथ खडे कर दिये तो मजबूर होकर मजदूर पैदल ही अपने अपने ग्रह जनपदो की ओर निकल पडे है।
परेशानियों की बीच अपने घर पहुंच रहे है। हालात यह है कि बुजुर्ग हो या महिला या फिर बच्चे सभी रौते बिलखते हुए अपने घर पहुंच रहे हैं।
जब मीडिया कर्मियों ने मजदूरों का हालचाल लिया वह फफक पडे और उन्होंने आपबीती बताई।बताया कि कहीं भी खाने पीने का इंतजाम नहीं हुआ है।
खाना लेकर आये वो भी खराब होकर बदबू छोड रहा है। भूखे पैसे घर पहुंच रहे हैं। सरकार मजदूरों के लिए दावे वायदे तो करती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर नहीं दिखाई दे रहीं है।
कोई ठकेल के सहारे बच्चों को बिठाकर घर पहुंच रहा हैं, तो साइकिल तो पैदल ही बिनाहारे थाके कदम दर कदम आगे बडता जा रहा है।