मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट, जिसे सपा का गढ़ माना जाता है, इस बार 53.89% मतदान के साथ सुर्खियों में है। यह आंकड़ा 2022 के विधानसभा चुनाव के 66.11% मतदान से करीब 12.20% कम है। अनुमान है कि इस बार लगभग 45,000 वोट कम पड़े हैं। यह गिरावट सपा के लिए चिंता का विषय बन गई है, जबकि भाजपा इसे अपने पक्ष में मान रही है।
इस बार सपा ने पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी बनाया है, जबकि भाजपा ने सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के बहनोई अनुजेश सिंह को मैदान में उतारा। भाजपा ने यादव वोटों में सेंध लगाने के लिए ‘कमरिया-घोषीवाद’ का नारा दिया, जो चर्चा में रहा।
क्या कम मतदान भाजपा को देगा बढ़त?
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि कम मतदान का लाभ भाजपा को मिल सकता है। इतिहास पर नजर डालें तो 2002 में 54.3% मतदान के दौरान करहल सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी।
सात प्रत्याशी मैदान में, किसके सिर सजेगा जीत का ताज?
इस बार चुनाव मैदान में कुल सात प्रत्याशी हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला सपा, भाजपा और बसपा के बीच है।
1.अनुजेश सिंह (भाजपा)
2.तेज प्रताप यादव (सपा)
3.अवनीश शाक्य (बसपा)
4.सुनील मिश्रा, सर्व समाज जनता पार्टी
5.प्रदीप, आजाद समाज पार्टी कांशीराम
6.विवेक यादव, सर्वजन सुखाय पार्टी
7.सचिन कुमार, निर्दलीय
ईवीएम में कैद हुई किस्मत, 23 को आएगा परिणाम
20 नवंबर को मतदान के बाद सभी प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है। ईवीएम को कड़ी सुरक्षा के बीच नवीन मंडी के स्ट्रॉन्ग रूम में रखा गया है। मतगणना 23 नवंबर को सुबह 8 बजे शुरू होगी, और दोपहर तक नतीजे सामने आ जाएंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार मतदाता उत्साह में कमी का कारण क्षेत्रीय मुद्दों का प्रभावी न होना और समाजवादी पार्टी का कमजोर जनसंपर्क हो सकता है। वहीं, भाजपा की आक्रामक रणनीति और जातीय समीकरणों ने इस चुनाव को और दिलचस्प बना दिया है।
23 नवंबर को मतगणना के बाद स्पष्ट होगा कि क्या भाजपा करहल सीट पर इतिहास दोहराएगी, या सपा अपने गढ़ को बचाने में कामयाब रहेगी। फिलहाल, दोनों दलों में जीत-हार को लेकर गहन मंथन जारी है।