जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कार्यभार संभालते ही सक्रियता दिखाते हुए अपनी पहली कैबिनेट बैठक में जम्मू-कश्मीर के राज्य दर्जे की पुनर्बहाली के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है। हालांकि, अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के खिलाफ निंदा प्रस्ताव न पारित करने पर विरोधियों ने उन्हें निशाने पर लिया है।
राज्य दर्जे की बहाली का प्रस्ताव
उमर अब्दुल्ला ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में राज्य के दर्जे की पुनर्बहाली का प्रस्ताव पेश किया, लेकिन अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण पर कोई चर्चा नहीं की। प्रदेश सरकार ने इस बैठक के बारे में अभी तक कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
प्रधानमंत्री मोदी से जल्द मुलाकात की योजना
सूत्रों के अनुसार, उमर अब्दुल्ला जल्द ही नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे, जहां वह इस प्रस्ताव की जानकारी देंगे और राज्य के दर्जे की बहाली पर जोर देंगे।
विरोधियों की आलोचना
इस बीच, पीपुल्स कान्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के युवा नेता वहीद उर रहमान पारा ने उमर अब्दुल्ला की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने राज्य के दर्जे की बहाली का प्रस्ताव पारित कर 5 अगस्त 2019 के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया है। लोन ने यह भी कहा कि यह प्रस्ताव विधानसभा में लाने के बजाय गुपचुप तरीके से पारित किया गया है, और अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के खिलाफ कोई चर्चा नहीं की गई।
उपराज्यपाल की मंजूरी आवश्यक
उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी बार कार्यभार संभाल रहे हैं, लेकिन इस बार उन्हें केंद्रशासित प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में काम करना होगा। किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय के लिए उन्हें उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी होगी।
इस तरह, उमर अब्दुल्ला का कार्यभार संभालना जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जिसमें राज्य के दर्जे की बहाली का प्रस्ताव चर्चा का मुख्य विषय बन गया है।