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Jagananth Temple: क्या है जगन्नाथ मंदिर के खजाने का रहस्य, 46 सााल बाद खोला गया रत्न भंडार

देशभर में जगन्नाथ रथ यात्रा का पर्व मनाय गया। इस मौके पर रथ पर विराजमान होकर भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और बलराम के साथ मौसी के घर गुंडिचा मंदिर पहुंचे। चारों धामो में एक नाम जगन्नाथ धाम का भी आता है।यह मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए तो प्रसिद्ध है ही साथ ही यह अपने खजाने भंड़ार के लिए भी जाना जाता है।

By: Abhinav Tiwari 
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Jagananth Temple: क्या है जगन्नाथ मंदिर के खजाने का रहस्य, 46 सााल बाद खोला गया रत्न भंडार

Jagananth Temple:  देशभर में जगन्नाथ रथ यात्रा का पर्व मनाय गया। इस मौके पर रथ पर विराजमान होकर भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और बलराम के साथ मौसी के घर गुंडिचा मंदिर पहुंचे। चारों धामो में एक नाम जगन्नाथ धाम का भी आता है।यह मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए तो प्रसिद्ध है ही साथ ही यह अपने खजाने भंड़ार के लिए भी जाना जाता है।

यदि हम बात करें ओडिशा में भगवान जगन्नाथ के मंदिर में संरक्षित रखे खजाने की जो की 12वीं सदी का है। पुरी के प्रतिष्ठित जगन्‍नाथ मंद‍िर का रत्‍न भंडार काफी विशाल है जिसे 46 साल बाद खोला गया।

सरकार द्वारा इस भंडार में मौजूद सभी कीमती व बहुमूल्य सामानों और आभूषणों की डिजिटल लिस्टिंग की गई, जिसमें उनके वजन और निर्माण जैसी जानकारियां शामिल थी।

यह कार्य ओडिशा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश विश्वलाथ रथ की अगुवाई मे 11 एक्सपर्ट द्वारा किया गया। उसके बाद भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण के एक्सपर्ट टीम द्वारा रत्न भंडार का सर्वे किया गया और मंदिर के सभी सभी खजाने को बाहर निकाला गया।

क्या है खजाने का रहस्य

पुरी के जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 46 साल बाद गणना के लिए खोला गया।आपको बता दें कि 1978 में आखिरी बार रत्न भंडार में रखे गए खजाने और आभूषणों की गिनती हुई थी, उसके बाद से भंडार के खजाने की गिनती नहीं हुई।

हालांकि 1982 और 1985 में रत्न भंडार दो बार खुला, लेकिन तब सिर्फ भगवान जगन्नाथ के लिए कुछ जरूरी आभूषणों को निकाला गया था, फिर उसके बाद से सामान की गणना नहीं हुई ।

क्यों 46 साल बाद खोला गया खजाना

आपको बता दें कि 46 साल बाद रत्न भंडार को खोलने का उद्देश्य आभूषणों, मूल्यवान वस्तु की सूची बनाने और भंडार गृह की मरम्मत कराना है। इससे पहले 14 जुलाई 1985 में सबसे पहले इस खजाने को खोला गया था, और फिर बाद मे खजाने की चाबी खो जाने के कारण कई वर्षों तक यह खजाना बंद ही रहा।

अब इस खजाने को इस उत्सुकता के साथ खोला जा रहा है कि -रत्न भंडार में कितने कीमती और कितने बहुमूल्य आभूषण एवं रत्न होंगे,और साथ ही यह की रत्न भंडार में अब तक कितना खजाना इकट्ठा हो चुका होगा।

क्या-क्या निकला खजाने भंडार में

दरआसल, रत्न भंडार के दो कक्ष है- एक बाहरी खजाना और भीतरी खजाना है। बाहरी खजाने में भगवान जगन्नाथ का सोने का मुकुट, तीन सोने का हार मिला तो वहीं दूसरी ओर आंतरिक खजाने में करीब 74 सोने के आभूषण मिले जिसमें प्रत्येक का वजन लगभग 100 तोला था। इसमें सोने, चांदी, हीरे, मूंगा और मोतियों से बने आभूषण का भी समावेश मिला।

THIS POST IS WRITTEN BY- PRIYA TOMAR

 

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