वैदिक ज्योतिष में कुंडली के 12 भावों से मनुष्य के जीवन के कई पहलुओं का विचार किया जाता है जिनमे सबसे प्रमुख होती है अच्छी नौकरी, सामान्यतया सरकारी नौकरी को सबसे अच्छा माना जाता है और इसे लेकर ज्योतिष में कई योग प्रमुखता से बतलाये गए है तो आज इस लेख में हम जानेगे की किन भावों और ग्रहों की सरकारी नौकरी में प्रमुख भूमिका है।
कुंडली के 12 भावों में से लग्नेश, पंचमेश और दसमेश यानी की आपके लग्न का स्वामी, पंचम भाव का स्वामी और दशम स्थान के स्वामी का बलवान होना बहुत ज़रूरी होता है। इसके अलावा सूर्य और शनि ये दो ग्रह किसी भी जातक को सरकारी नौकरी अथवा तो सरकारी कार्यों में सफलता देने के कारक है।
ज्योतिष में सूर्य को सरकार का कारक माना गया है क्यूंकि वो राजा है वही शनि को दशम स्थान के स्वामी होने के कारण सेवक की संज्ञा दी गयी जो की कर्म स्थान है वही सूर्य की मूल त्रिकोण राशि सिंह भी पंचम स्थान में होती है वही मंगल जिन्हे की सेनापति के दर्जा मिला हुआ है उनकी राशि लग्न में होती है और यही कारण है कि इन ग्रहो या इन तीनों भावों का संबंध जातक को सरकारी नौकरी देता है।
सबसे पहले कुंडली में यह देखना जरुरी हो जाता है कि आपका दशमेश बलवान है कि नहीं ? और अगर वो बलवान है तो क्या वो लग्नेश के साथ संबंध बना रहा है ? अगर ऐसा है तो क्या यह युति किसी केंद्र और त्रिकोण में बन रही है ? उसके बाद यह देखना होगा कि क्या सूर्य और शनि बलवान है ?
इन सारे भाव और ग्रहों को देखने के बाद ही यह निर्णय किया जाता है कि जातक को क्या सरकारी नौकरी मिल सकती हैं ? वही इसके बाद यह निर्णय लिया जाता है कि किस दशा और अन्तर्दशा में जातक को सरकारी नौकरी प्राप्त होगी ! अगर आपकी कुंडली में दशम भाव मजबूत नहीं है तो किसी विद्वान ज्योतिषी से कुंडली का अध्ययन करवाए और उपाय करे।