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ब्लड कैंसर और बोन मैरो कैंसर के इलाज की दिशा में मिली बड़ी सफलता

By RNI Hindi Desk 
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वाशिंगटन: भारतवंशी समेत विज्ञानियों के एक दल को ब्लड कैंसर और बोन मैरो कैंसर के इलाज की दिशा में बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने एक नए समूह की दवाओं की पहचान की है। इन दवाओं में ब्लड कैंसर और बोन मैरो कैंसर के इलाज की उम्मीद दिखी है। उनका कहना है कि इस तरह के कुछ आम प्रकार के कैंसर रोगों के उपचार में ये दवाएं प्रभावी साबित हो सकती हैं।

ब्लड कैंसर डिस्कवरी पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, दशक भर के शोध से जाहिर होता है कि उपचार की यह नई रणनीति ल्यूकेमिया सेल्स के साथ टीईटी2 म्यूटेशन का सफाया कर सकती है। यह अध्ययन अमेरिका के प्रतिष्ठित क्लीवलैंड क्लीनिक के शोधकर्ता जेरोस्लाव मैकिएजेव्स्की और बाबल कांत झा की ओर से किया गया है।

जेरोस्लाव ने कहा, ‘प्रीक्लीनिकल मॉडल के आधार पर हमने पाया कि टीईटीआइ76 नामक सिंथेटिक मॉलीक्यूल कैंसर सेल्स (कैंसर कोशिकाओं) का खात्मा करने में पूरी तरह सक्षम है। यह मॉलीक्यूल कैंसर सेल्स को प्रारंभिक अवस्था के साथ ही इसके पूरी तरह विकसित होने की स्थिति में भी खत्म करने की क्षमता रखता है।’

इस अध्ययन से जुड़े भारतीय मूल के शोधकर्ता बाबल कांत झा ने कहा, ‘हम अपने नतीजों को लेकर आशावान हैं। इससे जाहिर होता है कि यह मॉलीक्यूल न सिर्फ टीईटी2 म्यूटेशन के साथ कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि पर पूरी तरह अंकुश लगा सकता है बल्कि सामान्य कोशिकाओं को बचाने में मददगार भी हो सकता है।’ उन्होंने कहा कि नई दवा कैंसर रोगियों के लिए एक उम्मीद की किरण जैसी है।

ल्यूकेमिया को ब्लड कैंसर के नाम से अधिक जाना जाता है। अन्य कैंसर की तरह इस कैंसर के होने के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि यह कैसे होता है। ल्यूकेमिया बोन मैरो यानि अस्थिमज्जा में शुरू होता है और इसका कारण श्वेत रक्त कोशिकाओं (White Blood Cells) का असामान्य होना है।

 

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