फोर्ड ने भारत की प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा के साथ संयुक्त उपक्रम लगाने का एलान किया था। शुक्रवार को दोनो कंपनियों की तरफ से बताया गया है कि संयुक्त उपक्रम लगाने संबंधी बातचीत बंद कर दी गई है। इसके लिए पिछले कुछ महीनों के दौरान वैश्विक हालात में बदलाव को जिम्मेदार बताया गया है।
फोर्ड ने कहा है कि वह भारतीय बाजार में अब स्वतंत्र तौर पर ही नए अवसरों की तलाश करेगी। लेकिन कंपनी की बिक्री की स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह काम बहुत ही चुनौतीपूर्ण होगा। हालांकि, फोर्ड ने यह भी संकेत दिया है कि वह अभी भारतीय बाजार से हार नहीं मान रही है और भविष्य की योजना में इलेक्ट्रिक वाहनों का सबसे ज्यादा जोर दिया जाएगा।
फोर्ड और महिंद्रा ने अक्टूबर, 2019 में यह घोषणा की थी कि वे भारतीय बाजार व वैश्विक बाजार के हिसाब से नया संयुक्त उद्यम स्थापित करेंगी जिसमें महिंद्रा की सर्वाधिक हिस्सेदारी होगी। लेकिन पिछले 15 महीनों के दौरान वैश्विक हालात भी काफी बदल गये हैं और कोरोना ने भी काफी बदलाव कर दिया है। वैसे दोनो कंपनियों के बीच पहला समझौता सितंबर, 2017 में ही हुआ था।
फोर्ड दुनिया की दिग्गज कार कंपनी होने के बावजूद भारतीय बाजार में कोई खास स्थान नहीं बना सकी जबकि इसके बाद भारतीय बाजार में प्रवेश करने वाली जापानी व कोरियाई कंपनियों ने खासी जगह बना ली है। फोर्ड वर्ष 1995 से ही भारतीय बाजार में है।
उधर, महिंद्रा के सामने भी कई चुनौतियां हैं। उसने दक्षिण कोरियाई कंपनी सैंगयोंग मोटर कंपनी का जो अधिग्रहण किया था वह भी कंपनी के लिए अच्छा नहीं रहा। सैंगयोंग की दिवालिया प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। कंपनी इसके लिए खरीदार की भी तलाश में है। भारतीय बाजार में भी कंपनी की हिस्सेदारी घट रही है।
भारतीय बाजार की तमाम क्षमताओं के बावजूद अमेरिकी कंपनियां उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने में नाकाम रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में फिएट और जनरल मोटर्स यहां के बाजार से बोरिया-बिस्तर समेट चुकी हैं। हाल ही में अमेरिकी बाइक निर्माता कंपनी ने हार्ले डेविडसन ने भी भारतीय बाजार से निकल जाने का फैसला किया है। कोरोना काल में कई कंपनियों का उत्पादन व बिक्री बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं और वे बेहतर भविष्य के लिए संघर्ष कर रही हैं।