भारत-चीन के बीच गलवां घाटी को लेकर तनाव बढ़ता ही जा रहा है। भारत सरकार चीनी उपकरणों को प्रतिबंधित करने की तैयारी में है। इस बीच पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने कहा कि युद्ध एक अंतिम विकल्प है। उन्होंने कहा कि चीन की धोखेबाजी ने दोनों देशों के बीच विश्वास में कमी पैदा कर दी है। चीन को सबक सिखाने के लिए और भी कई रास्ते हैं, उनमें से एक चीन का आर्थिक रूप से बहिष्कार करना है।
जनरल वीके सिंह ने कहा कि हमें चीन को आर्थिक रूप से चोट पहुंचानी होगी। सबसे पहले हमें चीनी सामानों का बहिष्कार करना होगा। जब बाकी चीजें असफल हो जाती हैं, तब आप युद्ध का विकल्प चुनते हो। उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में कहा कि गलवां घाटी में जमीनी हालात भारतीय सैनिकों के नियंत्रण में है और वहां कोई घुसपैठ नहीं हुई है। चीनी सैनिक हर साल स्थानांतरित करने की कोशिश करते हैं, लेकिन हम हर बार उन्हें वापस भेज देते हैं।
चीन के सैनिक क्या हमारे क्षेत्र में थे या नहीं? इस सवाल का जवाब देते हुए राज्यमंत्री ने कहा कि वे हमारे क्षेत्र में नहीं हैं। एलएसी को लेकर 1959 के नक्शे से व्याख्या है और चीन इसको लेकर अपने दावे आगे बढ़ाता रहता है। एलएसी जमीन पर कोई निशान नहीं है और कोई समझौता भी नहीं है, लेकिन वहां दोनों पक्ष अपनी सीमा को जानते हैं और इसकी निगरानी करते हैं।