रिपोर्ट : मोहम्मद आबिद
पटना: गरीबी एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई दवाई नहीं है लेकिन पढ़ाई कर गरीबी को दूर किया जा सकता है लेकिन पढ़ाई हीं नहीं होगी तो यह गरीबी नामक बीमारी कैसे दूर होगी।
खबर बिहार के नालांदा की है जहां एक गरीबी में जूझ रहे परिवार की हालात बहुत ही दयनीय हैं और अब परिवार के एक नबालिग की पढ़ाई भी कोरोना काल की वजह से छूट गई लेकिन उसने रास्ते किनारे बैठकर अंडे बेचने का फैसला किया जिससे वो अपने घर का खर्च चला सके।
बतादें की पूरा मामला नालंदा का है जहां न्याय विभाग से भी जुडा हुआ है और नालंदा के जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायधीश मानवेंद्र मिश्रा ने एक अनोखा फैसला सुनाया जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है, बतादें की न्यायालय में एक 16 साल का आरोपी अपनी पीठ पर स्कूल बैग लेकर फटे हुए कपड़ों में पहुंचा जहां जज मानवेंद्र मिश्रा ने उस किशोर से मुकदमे की जानकारी ली और पारिवारिक स्थिति के बारे में पूछा।
कोर्ट पहुंचे नाबालिग आरोपी ने कोर्ट को पूरे मामले की जानकारी देते हुए कहा की परिवार के साथ हुए झगड़े में वह शामिल नहीं था बल्कि वह तो झगड़े में लोगों को छुड़ाने गया था, इसी बीच झगड़े में दोनों पक्षों के बीच मारपीट और गाली गलौज होने लगी जिसके चलते उसके भाई को गंभीर चोट लगी. बीते 29 फरवरी 2020 को दोनों पक्ष की ओर से FIR दर्ज कराई गई थी जिसमें उसका भी नाम डाल दिया गया।
नाबालिगआरोपी ने बताया कि उसके माता-पिता मजदूरी करते हैं और वह गरीबी के कारण पढ़ाई नही कर पाता है इसलिए वो अंडा बेच कर पढ़ाई की तैयारी कर रहा है।वहीं दूसरी तरफ नाबालिग आरोपी की पढ़ाई के लिए लगन और मेहनत को देखते हुए केस बंद करने और पढ़ाई का खर्चा उठाने की जिम्मेदारी ली है।