1. हिन्दी समाचार
  2. Breaking News
  3. Loksabha Election: जीत हो तो राजेश सोनकर जैसी : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

Loksabha Election: जीत हो तो राजेश सोनकर जैसी : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

Loksabha Election: कांग्रेस के कई बड़े पदों पर रहे डॉ रूप सिंह नागर ने रैली के रूप में पहुंचकर 500 कार्यकर्ताओं के साथ थामा बीजेपी का दामन....

By RNI Hindi Desk 
Updated Date

Loksabha Election: मुख्यमंत्री मोहन यादव ने देवास लोकसभा सीट की सोनकच्छ विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी महेंद्र सोलंकी के समर्थन में आयोजित बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन में विधायक  राजेश सोनकर की विधानसभा चुनाव में हुई ऐतिहासिक जीत पर तारीफ करते हुए कहा कि राजेश सोनकर वाकई आपने क्या धोबीपाट मारा है.

उन्होंने कहा कि मुझे कुश्ती का बहुत शौक है, मैं 15 साल से कुश्ती एसोसिएशन का अध्यक्ष हूं, पटखनी तो मैंने भी बहुत दी है, लेकिन तुमने जैसी पटखनी दी है, वैसी किसी ने नहीं दी है, क्या धमक और धूल उड़ी है, लोग धुएं धुएं हो गए, सूझ नहीं पड़ रही है. जीत हो तो राजेश सोनकर जैसी होना चाहिए, और झंडा फहराए तो सोनकच्छ जैसा फहराना चाहिए.

उन्होंने कहा कि भारत को सबसे शक्तिशाली देश बनाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित भारत का संकल्प भी लिया है और उनके इस संकल्प में हम सभी को मिलकर भागीदारी करनी है, तभी भारत समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र बनेगा, इस अवसर पर क्षेत्र के विधायक के नेतृत्व में सोनकच्छ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस छोड़ो यात्रा निकाली गई.

हजारों कार्यकर्ताओं ने भाजपा का दामन थामा

जिसमें कांग्रेस छोड़ कर भाजपा का दामन थामने वाले हजारों कार्यकर्ताओं को अनाज मंडी प्रांगण में आयोजित सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा दुपट्टा डालकर भाजपा की सदस्यता दिलाई गई उक्त जानकारी देते हुए विधायक डॉ राजेश सोनकर ने बताया कि कांग्रेस ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकरा कर जो पाप किया है.

उसे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में नाराजगी है विधानसभा के 50 से अधिक गांव से निकाली गई. इस यात्रा के साथ आज बालाजी रेस्टोरेंट से एक गाड़ियों के काफिले के साथ डॉ रूप सिंह नागर, जसवंत सिंह राजपूत, टोक कला, कमाल पटेल, राजेंद्र राठौड़, नारायण सोनी, नवीन गुप्ता, शहीत कई लोगों ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा यात्रा में विधायक सोनकर सहित भाजपा के कई छोटे बड़े नेता इस यात्रा में शामिल हुए.

देवास लोकसभा चुनाव से जुड़ी जानकारी

महेंद्र सोलंकी को दूसरी बार देवास से बीजेपी की सीट मिली है. कांग्रेस के राजेंद्र मालवीय इनके खिलाफ मैदान में हैं. 2019 में कांग्रेस ने प्रह्लाद सिंह टिपन्या को टिकट दी थी, इस चुनाव में उनका टिकट कट गया है. देवास लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र, मध्य प्रदेश के 29 लोकसभा क्षेत्रों में से एक, अपनी समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक महत्व और धार्मिक आस्था के लिए जाना जाता है. 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद यह क्षेत्र अस्तित्व में आया.

41 साल बाद दोबारा अस्तित्व में आई देवास लोकसभा सीट

देवास लोकसभा सीट पहली बार 1962 में अस्तित्व में आया. भारतीय जनसंघ के हुकुमचंद कछवाई पहले सांसद बने. फिर परिसीमन के बाद यह सीट शाजापुर लोकसभा का हिस्सा बन गई. 2008 में दोबारा देवास के नाम से लोकसभा सीट बनी. 2009 में कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा सांसद चुने गए. 2014 के मोदी लहर में देवास में बीजेपी ने परचम लहराया. 2019 में भी भारतीय जनता पार्टी को सफलता मिली. दोनों चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवार दो लाख से अधिक वोटों से जीते. शाजापुर के हिस्सा बने रहने के दौरान भी इस सीट पर जनसंघ, जनता पार्टी और बीजेपी को जीत मिली.

विधानसभा क्षेत्र

आष्टा, आगर, शाजापुर, शुजालपुर, कालापीपल, सोनकच्छ, देवास, हाटपिपलिया

देवास लोकसभा सीट इतिहास

मध्य प्रदेश की देवास लोकसभा सीट राज्य की एक ऐसी सीट रही है, जहां से बीजेपी के दिग्गज नेता थावरचंद गहलोत चुनाव लड़ चुके हैं. यह सीट 2008 में अस्तित्व में आई. शाजापुर लोकसभा सीट को खत्म करके बनाई गई देवास लोकसभा सीट पर दो चुनाव हुए हैं, जिसमें से एक में कांग्रेस और एक में बीजेपी को जीत मिली है. इस सीट से 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने वाले बीजेपी के मनोहर ऊंटवाल ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में आगर सीट से भी जीत हासिल की.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

देवास लोकसभा सीट 2008 अस्तित्व में आई. शाजापुर लोकसभा सीट को खत्म करके देवास लोकसभा सीट बनाई गई. यह सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है. 2009 में हुए यहां पर चुनाव में कांग्रेस के सज्जन सिंह को जीत मिली थी. उन्होंने मोदी सरकार में मंत्री थावरचंद गहलोत को मात दी थी. हालांकि इसके अगले चुनाव में बीजेपी ने बदला लेते हुए इस सीट पर कब्जा किया.

बीजेपी के मनोहर ऊंटवाल ने देवास लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन उन्होंने 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा और आगर सीट पर उन्होंने विजय हासिल की.

ऐसे में देखा जाए तो इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच बराबरी का मुकाबला रहा है. दोनों को यहां एक-एक चुनाव में जीत मिली है. देवास लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं.

आष्टा, शुजालपुर,देवास,आगर,कालापीपल, हटपिपल्या, शाजापुर और सोनकच्छ यहां की विधानसभा सीटें हैं. यहां की 8 विधानसभा सीटों में से 4 पर बीजेपी और 4 पर कांग्रेस का कब्जा है.

2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मनोहर ऊंटवाल ने कांग्रेस के सज्जन सिंह को हराया था. इस चुनाव में मनहोर ऊंटवाल को 665646(58.19 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं सज्जन सिंह को 405333(35.49 फीसदी) वोट मिले थे. दोनों के बीच हार जीत का अंतर 260313 वोटों का था. वहीं बसपा 1.51 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थी.

इससे पहले 2009 के चुनाव में कांग्रेस के सज्जन सिंह को जीत मिली थी. उन्होंने बीजेपी के दिग्गज नेता थावरचंद गहलोत को मात दी थी. सज्जन सिंह को 376421(48.08 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं थावरतंद गहलोत को 360964(46.1 फीसदी) वोट मिले थे.दोनों के बीच हार जीत का अंतर 15457 वोटों का था. इस चुनाव में बसपा 1.37 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थी.

सामाजिक ताना-बाना

देवास जिला इंदौर से करीब 35 किमी की दूरी पर है. यहां माता की टेकरी पर चामुण्डा माता और तुलजा भवानी माता के प्रसिद्ध मन्दिर हैं ,जिसके दर्शन के लिये लोग दूर-दूर से आते हैं. देवास एक औद्योगिक नगर है.

यह एक ऐसा शहर है, जहा दो वंशों ने राज किया. होलकर राजवंश और पंवार राजवंश ने यहां पर राज किया. देवास में बैंक नोट प्रेस भी है. आर्थिक व्यय विभाग की औद्योगिक इकार्इ बैंक नोट प्रेस, देवास की संकल्पना 1969 में की गर्इ और 1974 में इसकी स्थापना हुर्इ.

2011 की जनगणना के मुताबिक देवास की जनसंख्या 24,85,019 है. इसमें से 73.29 फीसदी लोग ग्रामीण इलाके में रहते हैं और 26.71 फीसदी लोग शहरी क्षेत्र में रहते हैं. यहां पर 24.29 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जाति की है और 2.69 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जनजाति की है. चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 के चुनाव में यहां पर 16,17, 215 मतदाता थे. इसमें से 7,73,660 महिला मतदाता और 8,43, 555 पुरूष मतदाता थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां पर 70.74 फीसदी मतदान हुआ था.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

55 साल के मनोहर ऊंटवाल 2014 में चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने. संसद में उनकी उपस्थिति 58 फीसदी रही. उन्होंने इस दौरान 2 बहस में हिस्सा लिया और 52 सवाल किए. मनोहर ऊंटवाल को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 25 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे. जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 25.18 करोड़ हो गई थी. इसमें से उन्होंने 22.23 यानी मूल आवंटित फंड का 86.91 फीसदी खर्च किया. उनका करीब 2.96 करोड़ रुपये का फंड बिना खर्च किए रह गया.

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...