हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि वो अमर है क्यूंकि माता सीता ने खुद हनुमान जी को अमर होने का वरदान दिया था। जब रावण ने माता सीता का हरण किया तो हनुमान जी माता सीता की खोज करके आये थे। अशोक वाटिका में हनुमान जी की भक्ति से प्रसन्न होकर माता सीता ने उन्हें अमर होने का आशीर्वाद देकर उनसे कहा की हे पुत्र जब तक भगवान राम का नाम रहेगा तब तक तुम्हारी पूजा होती रहेगी।
हनुमान जी के परिवार के बारे में हनुमान चालीसा में लिखा गया है की वो केसरी नंदन है और शिव के रूद्र अवतार है। और बचपन से ही वो बहुत शक्तिशाली थे और यही कारण था की एक तय समय तक उन्हें अपने शक्तियों के भूल जाने का श्राप प्राप्त हुआ था। लेकिन मानस और रामायण में कहीं भी उनके परिवार का विस्तृत वर्णन नहीं मिलता है।
दरअसल हनुमान जी के परिवार का विस्तृत वर्णन मिलता है ब्रह्मांडपुराण में, इस में उनके बारे में लिखते हुए बताया गया है कि हनुमान जी के अलावा उनके पांच और भाई थे और वो सब भाइयों में सबसे बड़े थे। उनके नाम क्रमशः मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान और धृतिमान थे।
आपको बता दे, तुलसीदास जी की रामचरितानस में हनुमान जी को रामभक्त की संज्ञा प्राप्त हुई है वही बाबा तुलसी ने हनुमान चालीसा में उनके तेज का वर्णन करते हुए लिखा है कि राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पइसारे। यानी की हनुमान राम जी के प्रिय है और उनकी आज्ञा के बिना कोई राम जी को प्राप्त नहीं कर सकता। राम तक जाने का रास्ता सिर्फ हनुमान जी है।