रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लाये गये तीनों नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहें हैं। शनिवार को किसान आंदोलन का 73वां दिन है। जिसको लेकर विदेशी हस्तियों ने भी अपनी राय रखी है। अमेरिकी पॉप स्टार रिहाना और पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट के बाद किसान आंदोलन इंटरनेशनल हो गया। इस मामले में अमेरिका ने भी अपनी राय रखी है। वहीं दूसरी ओर विदेश में बैठे लोग अपनी प्रोपेगेंडा को पूरा करने में जुटे हैं। अब विदेशी मीडिया भी किसान आंदोलन के सहारे भारत के खिलाफ झूठ फैलाने में जुटी है।
हम आपको बताते हैं विदेशी मीडिया की करतूत
दरअसल, ब्रिटिश वेबसाइट डेली मेल ने किसान आंदोलन को लेकर एक रिपोर्ट छापी है। इसमें उनके द्वारा दावा किया गया है कि 26 जनवरी को हुई हिंसा में एक किसान की मौत गोली लगने से हुई थी। इतना ही नहीं वेबसाइट ने यह दावा चश्मदीदों और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मिले संकेतों के आधार पर किया है। जबकि इसकी सच्चाई कुछ और है।
आपको बता दें कि ब्रिटिश वेबसाइट डेली मेल ने जिस शख्स का जिक्र किया है, वह उत्तराखंड का रहने वाला नवरीत सिंह है। नवरीत ऑस्ट्रेलिया में रहता था। शादी के बाद वह अपनी पत्नी को लेकर भारत आया था, अपने परिवार से मिलवाने। कोरोना महामारी में लगे लॉकडाउन में वह भारत में ही फंस गया। जिसके बाद वह किसान आंदोलन में हिस्सा लेने गया। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन उसकी मौत हो गई थी।
नवरीत की मौत 26 जनवरी के दिन हुए हिंसा के दौरान ट्रैक्टर रैली में हुई थी। उसका ट्रैक्टर दिल्ली पुलिस के बैरीकेट से टकराकर पलट गया था। जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी। नवरीत ने तेज रफ्तार ट्रैक्टर से बैरिकेड को तोड़ने की कोशिश की थी। इसी कोशिश के बाद उनका ट्रैक्टर पलट गया और इससे दबकर उनकी मौत हो गई। दिल्ली पुलिस ने भी नवरीत की मौत की वजह यही बताई थी।
नवरीत के मौत के बाद विपक्ष ने काफी विरोध किया है। जिसके बाद पुलिस नो पोस्टमार्टम रिपोर्ट का खुलासा किया। पोर्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक किसान की मौत गोली लगने से नहीं बल्कि ट्रैक्टर से पलटने से आई चोट के कारण हुई है। एडीजी बरेली अविनाश चंद्रा ने बताया था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई और अब इस बात की पुष्टि हो गई है कि किसान की मौत गोली लगने से नहीं हुई है।