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मौत के डर से भारत के इन गांवों में नहीं मनायी जाती है होली, कई सालों से फीके पड़े है ये गांव…

By: RNI Hindi Desk 
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मौत के डर से भारत के इन गांवों में नहीं मनायी जाती है होली, कई सालों से फीके पड़े है ये गांव…

रिपोर्ट: गीतांजली लोहनी

नई दिल्ली: भारत के प्रमुख पर्व में से एक रंगो का त्योहार होली भी है। इस त्योहार के दिन सभी लोग ऊंच-नीच, जाति-धर्म की दीवार तोड़कर बस रंगो के रंग में घुल जाते है। रंगो के साथ स्नेह के इस त्योहार को मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन क्या आप जानते है कि भारत में कई जगह ऐसी भी है जहां होली का पर्व मनाने का रिवाज काफी लंबे अरसे से नहीं है। तो चलिए जानते है भारत के वो कौन-से गांव है जहां रंग , गुलाल और भाईचारें के इस त्योहार को नहीं मनाया जाता है-

रूद्रप्रयाग (उत्तराखंड)-

उत्तरखांड के रूद्रप्रयाग जिला जहां अलकनंदा और मंदाकिनी नदी का संगम होता है। वहां के कुरझां और क्विली नाम के दो गांवों में होली का त्योहार नहीं मनाया जाता हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां करीब 150 साल से होली का पर्व नहीं मनाया गया है। यहां के स्थानीय निवासियों की मान्यता है कि इस गांव की प्रमुख देवी त्रिपुर सुंदरी को शोर-शराबा बिल्कुल पसंद नहीं है। इसलिए इन गांवों में लोग होली मनाने से बचते हैं।

दुर्गापुर (झारखंड)-

झारखंड के दुर्गापुर गांव में बोकारो के कसमार ब्लॉक में होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है। इस गांव में रहने वाले करीब 1000 लोगों ने 100 से भी ज्यादा सालों से होली का त्योहार नहीं मनाया है। यहां पर रहने वाले लोगों का दावा है कि अगर किसी ने होली के रंगों को उड़ा दिया तो उसकी मौत पक्की है। गांव वालों का कहना है कि 100 साल पहले यहां एक राजा ने होली खेली थी, जिसकी कीमत उसे चुकानी पड़ी थी। राजा के बेटे की मृत्यु होली के दिन हो गई थी, संयोग से राजा की मौत भी होली के दिन ही हुई थी। मरने से पहले राजा ने यहां के लोगों को होली न मनाने का आदेश दे दिया था और तभी से यहां मौत की डर से लोग होली नहीं मनाते है।

तमिलनाडु-

तमिलनाडु में रहने वाले लोग भी पारंपरिक रूप से होली का त्योहार नहीं मनाते हैं, जैसा कि उत्तर भारत में हर साल मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि होली पूर्णिमा के दिन पड़ती है और तमिलियन में यह दिन मासी मागम को समर्पित है। इस दिन उनके पितृ पवित्र नदियों और तालाबों में डुबकी लगाने के लिए आकाश से धरती पर उतरते हैं। इसलिए इस दिन यहां होली मनाना वर्जित समझा जाता है।

रामसन गांव (गुजरात)-

गुजरात के बनसकांता जिले में स्थित रामसन नाम के एक गांव में भी पिछले 200 साल से होली का त्योहार नहीं मनाया गया है। इस गांव का नाम पहले रामेश्वर हुआ करता था। यहां कि ऐसी मान्यता है कि भगवान राम अपने जीवनकाल में एक बार यहां आए थे। ऐसा कहा जाता है कि एक अहंकारी राजा के दुराचार के चलते कुछ संतों ने इस गांव को त्योहार पर बेरंग रहने का श्राप दे दिया दिया था। तभी से इस गांव में होली न मनाने की प्रथा बदस्तूर चली आ रही है।

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