रिपोर्ट: गीतांजली लोहनी
नई दिल्ली: हिंदु धर्म में कुंभ मेले का विशेष महत्व है। पौराणिक ग्रंथों में भी कुंभ मेले को लेकर कई उल्लेख किये गये है। पौराणिक धर्मग्रंथों के अनुसार कुंभ मेले की कहानी समुंद्र मंथन से जुड़ी है और मान्यता ये है कि समुंद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से 4 बूंदे 4 अग-अलग स्थानों में गिर गयी थी जहां अब कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। वो स्थान है हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक। कुंभ मेले का जब भी जिक्र किया जाता है तो नागा साधुओं का जिक्र भी लाजमी हो जाता है।
दरअसल, कुंभ में नागा साधुओं को लेकर बड़ी जिज्ञासा और कौतुहल रहता है। लेकिन क्या आप जानते है कि इन साधुओं का जीवन बहुत ही रहस्यमयी होता है। जी हां नागा साधु बनने की प्रक्रिया काफी कठिन होती है। नागा साधुओं को शिव का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है। कोई कपड़ा ना पहनने के कारण ये शिव भक्त नागा साधु दिगंबर भी कहलाते हैं। सभी अखाड़ों में अगर कोई नया नागा साधु बना है तो उसे दीक्षा देने का नियम अलग होता है। लेकिन कुछ ऐसे नियम होते है जिनका पालन सभी अखाड़ों में किया जाता है। तो चलिए जानते है नागा साधुओं के बारे में कुछ खास जानकारी-
- साधु बनाने से पहले अखाड़े वाले उस व्यक्ति के बारे में सारी जानकारी अपने स्तर पर हासिल करते हैं। जानकारी में व्यक्ति के घर-परिवार के बारे में मालूम किया जाता है। और अगर अखाड़े के साधुओं को लगता है कि व्यक्ति साधु बनने के योग्य है, सिर्फ तब ही उसे अखाड़े में प्रवेश की अनुमति मिलती है।
- अखाड़े में प्रवेश करने के बाद व्यक्ति सीधे साधु नहीं बन जाता है, बल्कि उसके ब्रह्मचर्य की परीक्षा होती है। इस परीक्षा में काफी समय लगता है। ब्रह्मचर्य में सफल होने के बाद उसके पांच गुरु बनाए जाते हैं। ये पांच गुरु पंच देव या पंच परमेश्वर के नाम से जाने जाते हैं। इनमें शिवजी, विष्णुजी, शक्ति, सूर्य और गणेश शामिल हैं।
- इसके बाद उस व्यक्ति को महापुरुष की संज्ञा मिल जाती है। कुछ और प्रक्रिया पूरी होने के बाद महापुरुष को अवधूत कहा जाता है। अवधूत के रूप में व्यक्ति खुद का पिंडदान करता है। इसके बाद व्यक्ति को नागा साधु बनाने के लिए नग्न अवस्था में 24 घंटे तक अखाड़े के ध्वज के नीचे खड़ा रहना होता है।
- इसके बाद अखाड़े के बड़े नागा साधु नए व्यक्ति को नागा साधु बनाने के लिए उसे विशेष प्रक्रिया से नपुंसक कर देते हैं। इस प्रक्रिया के बाद व्यक्ति नागा दिगंबर साधु घोषित हो जाता है।
- नागा साधु बनने के बाद गुरु से मिले गुरुमंत्र का जाप करना होता है, उसमें आस्था रखनी होती है। नागा साधु को भस्म से श्रृंगार करना पड़ता है। रूद्राक्ष धारण करना होता है।
- ये साधु दिन में एक समय भोजन करते हैं। एक नागा साधु को सिर्फ सात घरों से भिक्षा मांगने का अधिकार होता है। अगर सात घरों से खाना न मिले तो उस दिन साधु को भूखा रहना पड़ता है।
- नागा साधु जमीन पर सोते हैं। ये साधु समाज से अलग रहते हैं। एक बार नागा साधु बनने के बाद उसके पद और अधिकार भी समय-समय पर बढ़ते रहते हैं।
- नागा साधुओं का भी पद होता है। ये लोग महंत, श्रीमहंत, जमातिया महंत, थानापति महंत, पीर महंत, दिगंबरश्री, महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर जैसे पद तक पहुंच सकते हैं।