हमारी हिन्दू संस्कृति और सभ्यता में मां दुर्गा के आराधना के पर्व को नवरात्रि कहा जाता है, देवी पुराण का मत है कि देवी के नौ रूप की साधना करने से मनुष्य की हर मनोकामना पूरी होती है, नौ रात को मिलकर नवरात्र शब्द बना है जिसमे देवी के नौ रूप की आराधना करने का नियम है।
हिन्दू धर्म में मुख्य 18 पुराणों का ज़िक्र है जिसमें देवी भागवत पुराण में यह लिखा हुआ है कि साल के 4 महीने नवरात्र के लिए निर्धारित है, यह नवरात्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से लेकर नवमी तक मनाये जाते है, इन 4 महीनों में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ माह का वर्णन पुराणों में है।
अब इन 4 महीनों में अश्विन और चैत्र की नवरात्रि को क्रमश: शारदीय व वासंती नवरात्रि कहा गया वही माघ और अश्विन की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा गया है।
इन दोनों नवरात्रि के बारे में लोगों को अधिक जानकारी नहीं होती हैं और लोगों को लगता है कि साल में सिर्फ 2 बार नवरात्रि आती है जबकि ये 2 नहीं 4 बार आती है।
आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र 22 से 29 जून तक रहेंगे। गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है।
तंत्र मन्त्र से जुड़े हुए लोग महीनों तक इन नवरात्रों का इंतज़ार करते है ताकि वो लम्बी और दुर्लभ साधना कर शक्तियों को प्राप्त कर सके।