दिल्ली और एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेप-4 (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के प्रतिबंधों को 2 दिसंबर तक बढ़ाने का निर्देश दिया है। अदालत ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि नियमों के अनुपालन में किसी भी तरह की लापरवाही स्वीकार्य नहीं होगी और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर स्थिति
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता बेहद खराब स्थिति में पहुंच गई है, जिसके कारण लोगों को सांस लेने में कठिनाई और स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर, सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेप-4 के तहत लागू सख्त उपायों को जारी रखने का फैसला किया।
क्या हैं ग्रेप-4 के प्रतिबंध?
ग्रेप-4 प्रतिबंध वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के गंभीर स्तर पर पहुंचने पर लागू किए जाते हैं। इसके तहत:निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध।
उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषकों पर सख्त नियंत्रण।डीजल से चलने वाले वाहनों पर रोक। सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना। स्कूलों और कार्यालयों में गतिविधियों को सीमित करना।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेप-4 के प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि संबंधित अधिकारियों को पूरी जिम्मेदारी के साथ काम करना होगा, अन्यथा लापरवाही के मामलों में कार्रवाई तेज की जाएगी।
आगे की राह
2 दिसंबर तक प्रतिबंध जारी रहेंगे। प्रदूषण नियंत्रण के लिए जागरूकता और सख्त निगरानी जारी रहेगी।को र्ट ने सरकार और संबंधित एजेंसियों को प्रदूषण रोकने के लिए दीर्घकालिक समाधान तैयार करने का निर्देश दिया है।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति से निपटने के लिए ग्रेप-4 के प्रतिबंध फिलहाल जारी रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला प्रदूषण से प्रभावित लोगों को राहत देने के उद्देश्य से लिया गया है।