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हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने पीएम मोदी से कृषि कानूनों को वापस लेने की अपील

By RNI Hindi Desk 
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केंद्र सरकार द्वारा लाये गए 3 कृषि कानूनों को लेकर देश के हर कोने में आंदोलन जारी है, आंदोलन का आज 33वा दिन है। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को राजनीतिक दलों और संगठनों से समर्थन मिल रहा है।

इसी कड़ी में अब हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल के अध्यक्ष ओम प्रकाश चौटाला ने केंद्र सरकार से इन कानूनों को वापस लेने की मांग की है। सोमवार को चौटाला ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने या किसान संगठनों और विशेषज्ञों के साथ इस विषय पर सहमति कायम होने तक उनका क्रियान्वयन निलंबित रखने की मांग करते हुए पीएम मोदी को पत्र लिखा है।

इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के 85 वर्षीय अध्यक्ष ने कहा कि सरकार के ‘अड़ियल’ रवैये के चलते इस मुद्दे का अबतक कोई ठोस हल नहीं हुआ है। उन्होंने पत्र में लिखा, ‘‘यह दुखद स्थिति है क्योंकि कृषक वर्ग के लोग आमतौर पर किसी प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लेते। यदि आज यह हो रहा है तो इसे संवेदनशीलता के साथ देखने की जरूरत है।’’

चौटाला ने पत्र में कहा, ‘‘ इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए।’’ उन्होंने यह भी कहा कि यदि इन कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है तो , कम से कम तब तक उन्हें निलंबित रखा जाए जबतक संतोषजनक प्रक्रिया के माध्यम से किसान संगठनों एवं विशेषज्ञों के साथ सहमति नहीं कायम हो जाती है।

दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान करीब एक महीने से धरने पर बैठे हैं क्योंकि सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच गतिरोध दूर होने का कोई संकेत नजर नहीं आ रहा है। ये किसान तीनों नये कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

चौटाला ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि कृषि कानूनों को लागू करने में हड़बड़ी नहीं की जाए या इसे ‘अहं का विषय ’ नहीं बनाया जाए। चौटाला को भर्ती घोटाले में दस साल कैद की सजा सुनाई गई है।

बता दें कि इसी वर्ष सितंबर में लागू तीन कृषि कानूनों को केंद्र द्वारा कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों के रूप में पेश किया गया है, और उसके मुताबिक यह कानून बिचौलियों को दूर करेगा और किसानों को देश में कहीं भी अपनी उपज बेचने की अनुमति देगा।

इन कानूनों के खिलाफ पंजाब-हरियाणा समेत अन्य राज्यों के किसान पिछले तैंतीस दिन से दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। किसानों ने यह आशंका जताई है कि नए कानून में न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुरक्षा खत्म हो जाएगी।

केंद्र सरकार ने किसानों की चिंता और इस समस्या को हल करने की दिशा में पहल करते किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से छह दौर की बातचीत कर चुकी है। लेकिन गतिरोध बरकरार है। किसान अपनी मांगों और बात पर अडिग हैं। सरकार ने एक बार फिर किसानों को 30 दिसंबर को सातवें दौर के वार्ता के लिए आमंत्रित किया है।

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