कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन 2025 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के बदलते हालात और भारत की भूमिका पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि आज युद्ध और रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता दुनिया में सहयोग और टकराव के ढांचे को बदल रही हैं। जो अंतरराष्ट्रीय गठबंधन पहले मजबूत लगते थे, उनका आज परीक्षण हो रहा है और नए गठबंधन धीरे-धीरे उभर रहे हैं।
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था संरचनात्मक बदलावों से गुजर रही है। कई देशों को व्यापार, वित्त और ऊर्जा में असंतुलन जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद भारत की स्थिति मजबूत बनी हुई है और देश की अर्थव्यवस्था बाहरी झटकों का सामना करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारत का विकास मुख्यतः घरेलू कारकों पर आधारित है, जिससे वैश्विक उतार-चढ़ाव का असर सीमित रहता है।
सीतारमण ने यह भी कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला अब प्रतिबंध, टैरिफ और अलगाव जैसी नीतियों से नया आकार ले रही है। ये बदलाव चिंताजनक हो सकते हैं, लेकिन भारत के आर्थिक जुझारूपन और मजबूत आधार को उजागर करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश का विकास आकस्मिक नहीं बल्कि कई मजबूत कारकों के संयोजन का परिणाम है।
वित्त मंत्री ने भारत के दीर्घकालिक लक्ष्य की ओर भी इशारा किया। 2047 तक विकसित भारत बनने के लिए आत्मनिर्भरता जरूरी है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि देश वैश्विक आर्थिक परिदृश्य से कट जाए। लक्ष्य को हासिल करने के लिए निरंतर 8% GDP वृद्धि आवश्यक है।
अंत में, उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत की अर्थव्यवस्था लचीली, टिकाऊ और स्थायी रूप से विकसित हो रही है, और यह वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी मजबूती बनाए रखने में सक्षम है।